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चौपाल
चौपाल
प्रकाशक :
मंजुल पब्लिशिंग हाउस |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :426
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
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पुस्तक क्रमांक : 9535
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आईएसबीएन :9788193182369 |
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233 पाठक हैं
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
यह कथानक कल्पना पर आधारित है। वर्तमान परिपेक्ष्य में लोग ग्रामीण परिवेश से निकलकर योग्यता प्राप्त कर अन्य स्थानों पर जाकर रहते हैं, जबकि उन्हें अपनी ज़मीन, जल, वायु और अन्न का ऋणी होना चाहिए।
कहानी का मुख्य पात्र लाल सिंह कोई कथाकार नहीं, बल्कि एक ऐसा चरित्र है जिसने लोकोपकार की भावना से लालगांव बसाया। इसके पीछे उनका लक्ष्य स्वयं सम्पन्न बनाना था, लेकिन साथ ही उसने हज़ारों अन्य लोगों को बस्ने और नौकरी के अवसर दिये। लाल सिंह ने अपनी विरासत एक अनाथ, अनाम व्यक्ति को सौंपी और अपनी पारखी नज़रों से सुजान का चयन कर निश्चिंत हो गए।
इस कहानी में असीम सम्भावनायें हैं, जो सामाजिक राजनितिक, आर्थिक, पारिवारिक व व्यक्तिगत विकास को प्रभावित करती हैं। यह उपन्यास मानवीय पहलुओं को उजागर कर यह संदेश देने का प्रयास करता है कि प्रत्येक मनुष्य में नकारात्मक व सकारात्मक प्रवृतियाँ होती हैं जो समय व परिस्तिथियों के अनुसार सामने आती हैं।
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