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व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> सद्गुरु नानक

सद्गुरु नानक

सरश्री

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :186
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9570
आईएसबीएन :9788183226943

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

मैं बड़ा हूँ कहकर छोटे न बने कहें कि मैं ईश्वर के हुकुम से बना हूँ।

ईश्वर ने बड़े और छोटे हर तरह के मटके (शरीर) बनाए हैं। जब बड़ा मटका कहता है कि ‘मैं बड़ा हूँ’ तो यह कहकर वह असल मैं छोटा हो जाता है।

यदि छोटा मटका कहता है कि ‘मैं तो ईश्वर के हुकुम से बना हूँ, मुझे छोटा या बड़ा मालूम नहीं है,’ तो समझ के साथ यह कहना उसे बड़ा बना देता है। जो छोटे मटके ऐसा कह पाते हैं, ईश्वर के हुकुम से वे बड़ा काम कर दिखाते हैं। अहंकार रखकर जो मटके स्वयं को बड़ा दिखाते हैं, बे ओछा काम कर दिखाते हैं। अहंकार रखकर जो मटके स्वयं को बड़ा दिखाते हैं, वे ओछा काम करके अपनी और दूसरों की नज़रों मैं छोटे हो जाते हैं। मानव जाती के सामने ऐसा कोई उदाहरण हैं।

गुरु नानक देव संपूर्ण जीवन ईश्वर के हुकुम पर जिए और बड़े बन गए। उनका जीवन उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो प्रभु के हुकुम पर चलना चाहते हैं, परन्तु हिम्मत नहीं कर पाते।

नानक एक ऐसे महान संत हैं, जिन्होंने अपने समय के कर्मकाण्डों पर अपनी वाणी से कड़ा प्रहार किया। उन्होंने सरल भाषा में ज्ञान का प्रचार कर लोगों को मोक्ष की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया, जिसका लाभ आज तक लिया जा रहा है ओर आगे भी लिया जाता रहेगा।

इस पुस्तक के माध्यम से गुरु नानक की जीवनी, कहानियों और सीखों का अध्ययन कर ख़ुशी का खज़ाना प्राप्त करें।

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