जीवनी/आत्मकथा >> जे. कृष्णमूर्ति एक जीवनी जे. कृष्णमूर्ति एक जीवनीमेरी लट्यंस
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
१९८६ में ९० वर्ष की आयु में कृष्णमूर्ति की मृत्यु हुई, मेरी लट्यंस द्वारालिखित उनकी वृहदाकार जीवनी के दो खंड 'थे यिअर्ज़ अॉफ अवेकनिंग, (१९७५) तथा 'द यीअर्ज अॉफ फुलफिलमेंट' (१९८३) प्रकाशित हो चुके थे। तीसरा खंड 'द ओपन डोर' १९८८ में प्रकाशित हुआ। इन तीनों खण्डों को मेरी लटयंस ने 'द लाइफ एंड डेथ अॉफ जे.कृष्णमूर्ति' नाम से एक पुस्तक में समेटा है। कृष्णमूर्ति कौन थे ? इस प्रश्न केउत्तर का अन्वेषण उनके जीवन और उनकी मृत्यु के सन्दर्भ में इन पृष्ठों में किया गया है। कृष्णमूर्ति का जीवन और उनकी शिक्षाओं में कोई फर्क नहीं है- अतएव उनका जीवन भी उनकी शिक्षा ही है; जीवन, जिसकी व्यापकता में मृत्यु भी समाविष्ट है। कृष्णमूर्ति की शिक्षाओ को समझने के लिए उनके जीवन की, उनके मृत्यु की विशदता को जानना-समझना महत्वपूर्ण है। एक निर्वैयक्तिक व्यक्तित्व की अद्भुत गाथा।
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