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डोंगरी से दुबई तक

एस. हुसैन जैदी

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9640
आईएसबीएन :9788183223966

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

डोंगरी से दुबर्इ तक मुम्बर्इ माफ़िया के इतिहास को सिलसिलेवार तरीक़े से दर्ज करने की पहली कोशिश है। यह हाजी मस्तान, करीम लाला, वरदाराजन मुदलियार, छोटा राजन, अबू सलेम जैसे कुख्यात गिरोहबाज़ों की कहानी तो है ही, लेकिन इन सब से ऊपर, एक ऐसे नौजवान की कहानी है, जो अपने पिता के पुलिस महकमे में होने के बावजूद ग़लत रास्ते पर चल पड़ा। अपराध की दुनिया में दाऊद इब्राहिम का दाखिला मुम्बई पुलिस के एक मोहरे के रूप में हुआ और वह इस दुनिया के अपने प्रतिद्वन्द्वियों का सफ़ाया करता हुआ अन्ततः मुम्बई पुलिस के लिए ही भस्मासुर साबित हुआ।

पठानों के उत्थान से लेकर दाऊद गिरोह के बनने तक, पहली बार दी गयी सुपारी से लेकर बॉलीवुड में माफ़िया की घिनौनी भूमिका तक, और दाऊद के कराची में पलायन से लेकर दुनिया के इस मोस्ट वाण्टिड अपराधी को कथित रूप में पनाह देने में पाकिस्तान की भूमिका तक यह किस्सा हिन्दुस्तान के अपराध के इतिहास के कई बड़े-बड़े कारनामों को अपने भीतर समेटता है।

डोंगरी के एक साधारण से लड़के के दुबर्इ जाकर एक डॉन में तब्दील हो जाने की यह कहानी अपनी रोमांचक किस्सागोर्इ के सहारे इस लड़के के दुस्साहस, कुटिलता, एकाग्रता, महत्वकांक्षा और ताकत की हवस की दास्तान पेश करती है। ज़बरदस्त शोध के बाद लिखी गर्इ यह किताब पूरी गहरार्इ और तफ़सील के साथ माफ़िया की वर्चस्व की लड़ाइयों और एक दूसरे को नेस्तनाबूत कर देने की उसकी रणनीतियों का ब्योरा पेश करती है।

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