नई पुस्तकें >> पांव तले भविष्य पांव तले भविष्यभोजराज द्विवेदी
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
क्या हाथ की रेखाओं की तरह पादलत या पांव की रेखाओं के माध्यइम से मानव का भूत-भविष्यप जाना जा सकता है ? यदि हां तो पांव के तलवे व उसकी रेखाओं द्वारा भविष्या-कथन की परम्पनरा कब से प्रारंभ हुई ? सर्वप्रथम पांव की रेखाओं का प्रामाणिक उल्लेंख कहां, कौन-से ग्रंथ मिलता है ? और फिर पांव की रेखाओं के माध्य म से भविष्यी–कथन प्रणाली ने सार्वजनिक प्रचलन व प्रसिद्धि को क्योंम नहीं प्राप्त? किया ? ये सभी प्रश्नम एक बुद्धिजीवी व प्रबुद्ध जिज्ञासु के साथ मस्तिष्कस में एक साथ सहज रूप से उठने स्वा्भाविक हैं तथा इन प्रश्नों का सटीक व सामयिक समाधान अनिवार्य रूप से सर्वजनहिताय अपेक्षित भी है।
प्रस्तु>त पुस्तयक ‘‘पांव तले भविष्यज’’ के माध्यहम से लेखक ने प्राचीन मान्यरताओं का नवीनीकरण किया है। इन्होंवने ज्ञान का लोप न हो, इस दृष्टि को ध्याान में रखते हुए जनहितार्थ में इस पुस्तयक को सुंदर ढंग से पाठकों के सामने प्रस्तुात किया है।
प्रस्तु>त पुस्तयक ‘‘पांव तले भविष्यज’’ के माध्यहम से लेखक ने प्राचीन मान्यरताओं का नवीनीकरण किया है। इन्होंवने ज्ञान का लोप न हो, इस दृष्टि को ध्याान में रखते हुए जनहितार्थ में इस पुस्तयक को सुंदर ढंग से पाठकों के सामने प्रस्तुात किया है।
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