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नागाओं का रहस्य

अमीश

प्रकाशक : वेस्टलेण्ड लिमिटेड प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :403
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9989
आईएसबीएन :9789381626603

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

आज, वह ईश्वर हैं।

चार हजार वर्ष पहले, वह केवल एक मानव था।

मेलूहा के मृत्युंजय ने शिव और सूर्यवंशियों की कहानी का सिरा जहां छोड़ा है ठीक वहीं से नागाओं के रहस्य की कहानी आगे बढ़ती है।

नागाओं ने शिव के मित्र बृहस्पति की हत्या की और अब उसकी पत्नी सती की जान के पीछे पड़े हुए हैं। क्रूर हत्यारों की जाति नागाओं के इरादों को विफल करना ही शिव का एकमात्र लक्ष्य बन जाता है। प्रतिशोध की राह पर चलते हुए शिव नागवंशियों के क्षेत्र में पहुंचता है। यहां उसे मेलूहा के हमलावर को ढूंढ़ना है। इस रोमांचक और खतरों से भरे सफर में दोस्त कब दुश्मन बन जाते हैं पता ही नहीं चलता।

क्या शिव चन्द्रवंशियों और नागाओं से जुड़े सत्य तक पहुंच पाएगा ?

आखिर नागाओं का रहस्य क्या है ?

क्या शिव अपनी यात्रा में विजयी हो पाएगा ?

रहस्य और रोमांच से भरी दुनिया को जानने के लिए पढ़ें नागाओं का रहस्य।

‘मौलिक और रोमांचक... अमीश की किताबें चेतना को गहराई तक झकझोर देती हैं।’
- दीपक चोपड़ा

‘अमीश... पूरब के पाउलो कोएलो बनते नज़र आ रहे हैं।’
- बिज़नेस वर्ल्ड

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