राजकमल प्रकाशन की पुस्तकें :
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प्रतिनिधि कविताएँ : विनोद कुमार शुक्लविनोद कुमार शुक्ल
मूल्य: $ 6.95
"विनोद कुमार शुक्ल – जहाँ कविता की गहरी संवेदना, यथार्थ को एक नई दृष्टि से उद्घाटित करती है।" आगे... |
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प्रतिनिधि कविताएँ : वीरेन डंगवालवीरेन डंगवाल
मूल्य: $ 5.95 |
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प्रतिनिधि कविताएं : हरिवंशराय बच्चनहरिवंशराय बच्चन
मूल्य: $ 4.95
जीवन और यौवन, सत्य और स्वप्न तथा सौन्दर्य और प्रेम के अप्रतिम कवि हरिवंशराय बच्चन के विशाल काव्य-कोष से चुनी हुई ये कविताएँ बहुत दूर तक आपके साथ जाने वाली है। आगे... |
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प्रतिनिधि कविताएं: अरुण कमलअरुण कमल
मूल्य: $ 1.95 अरुण कमल की कविताएँ एक साथ अनुभवजन्य हैं और अनुभवसुलभ। अनछुए बिम्ब, अभिन्न पर कुछ अलग से, अरुण कमल के काव्य-जगत में सहज ही ध्यान खींचते हैं और अपने समकालीनों में उन्हें एक अलग पहचान देते हैं। आगे... |
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प्रतिनिधि कविताएं: अशोक वाजपेयीअशोक वाजपेयी
मूल्य: $ 1.95 अशोक वाजपेयी जीवन के अनछुए अनुराग, अदेखे अंधकार और अधखिले फूलों के साथ, उन मुरझाए फूलों को भी प्रेम करनेवाले कवि हैं जिन्हें हम प्राय: नज़रअंदाज़ कर जाते हैं। आगे... |
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प्रतिनिधि कविताएं: कुमार अंबुजकुमार अंबुज
मूल्य: $ 1.95 कुमार अम्बुज हिन्दी के उन विरले कवियों में से हैं जो स्वयं पर एक वस्तुनिष्ठ संयम और अपनी निर्मिति और अंतिम परिणाम पर एक जिम्मेदार गुणवत्ता-दृष्टि रखते हैं। आगे... |
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प्रतिनिधि कविताएं: केदारनाथ सिंहकेदारनाथ सिंह
मूल्य: $ 3.95
केदार की कविता जो पहली बार रूप या तंत्र के धरातल पर एक आकर्षक विस्मय पैदा करती है क्रमश: बिम्ब और विचार के संगठन में मूर्त होती है और एक तीखी बेलौस सच्चाई की तरह पूरे सामाजिक दृश्य पर अंकित होती चली जाती है। आगे... |
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प्रतिनिधि कविताएं: गोपाल सिंह नेपालीगोपाल सिंह नेपाली
मूल्य: $ 1.95 उनकी रचनाओं में रूप का आकर्षण भी है और मन की विह्वलता भी, समर्पण की भावना भी है और मिलन की कामना भी, प्रतीक्षा की पीड़ा भी है और स्मृतियों का दर्द भी। आगे... |
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प्रतिनिधि कविताएं: जयशंकर प्रसादजयशंकर प्रसाद
मूल्य: $ 1.95 इस संग्रह में प्रसाद की उपरिवर्णित कविताओं के साथ 'लहर' से कुछ और कविताएँ, तथा इसके अलावा 'राज्यश्री', 'अजातशत्रु', 'स्कन्दगुप्त', 'चन्द्रगुप्त' व 'ध्रुवस्वामिनी' नाटकों में प्रयुक्त कविताओं को भी संकलित किया गया है। आगे... |
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प्रतिनिधि कविताएं: त्रिलोचनत्रिलोचन
मूल्य: $ 1.95 त्रिलोचन की आत्मपरक कविताएँ किसी भी स्तर पर आत्मग्रस्त कविताएँ नहीं हैं और यह उनकी गहरी यथार्थ-दृष्टि और कलात्मक क्षमता का सबसे बड़ा प्रमाण है। आगे... |