शब्द का अर्थ
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अंत्य :
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वि० [सं० अंत + यत्] सब के अंत में आने, रहने या होने वाला। अंतिम। पुं० १. पद्य की संख्या (१,॰॰,॰॰,॰॰,॰॰,॰॰,॰॰,॰॰॰)। २. मोधा नामक पौधा। ३. चांडाल, अंत्यज। ४. ज्योतिष में अंतिम नक्षत्र या लग्न। |
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अंत्य-कर्म (न) :
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पुं० [कर्म० स०] अंत्येष्टि क्रिया। |
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अंत्य-क्रिया :
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स्त्री० [कर्म० स०]=अंत्येष्टि। |
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अंत्य-गमन :
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पुं० [तृ० त०] उच्च वर्ण की स्त्री० का अंतिम वर्ण (शूद्र आदि) के पुरुष के साथ संभोग करना। |
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अंत्य-पद :
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पुं० [कर्म० स०] गणित में, वर्ग का सबसे बड़ा मूल। |
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अंत्य-भ :
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पुं० [कर्म० स०] १. अंतिम या रेवती नक्षत्र। २. मीन राशि। |
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अंत्य-मूल :
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पुं० [कर्म० स०]=अंत्य-पद। |
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अंत्य-युग :
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पुं० [कर्म० स०] अंतिम युग। कलियुग। |
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अंत्य-लोप :
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पुं० [ष० त०] शब्द के अंतिम अक्षर के लोप होने की क्रिया या भाव। (व्या०) |
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अंत्य-वर्ण :
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पुं० [कर्म० स०] १. अंतिम वर्ण, शूद्र। २. वर्णमाला का अंतिम अक्षर ‘ह’। ३. कविता के चरण या पद का अंतिम अक्षर। |
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अंत्य-विपुला :
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स्त्री० [ब० स०] आर्याछंद का एक भेद। |
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अंत्यक :
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पुं० [सं० अंत्य+कन्]=अंत्यज। |
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अंत्यज :
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वि० [सं० अंत्य√जन् (उत्पत्ति)+ड] (स्त्री० अन्त्यजा) १. जो अंतिम वर्ण से उत्पन्न हो। २. जिसका संबंध निम्न या अछूत जाति से हो। पुं० १. छोटी या नीच जाति। २. अस्पृश्य जाति। ३. शूद्र या अछूत। |
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अंत्या :
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स्त्री० [सं० अंत्य-टाप्] अंत्यज जाति की स्त्री। |
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अंत्याक्षर :
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पुं० [सं० अंत्य-अक्षर, कर्म०स०] १. किसी शब्द या पद का अंतिम अक्षर। २. वर्ण माला का अंतिम अक्षर ‘ह'। |
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अंत्याक्षरी :
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स्त्री० [सं० अंत्याक्षर+अच्-डीष्] किसी के द्वारा कहे हुए पद्य या श्लोक के अंतिम अक्षर य शब्द से प्रारम्भ किया हुआ नया पद्य या श्लोक। |
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अंत्यानुप्रास :
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पुं० [सं० अंत्य-अनुप्रास, कर्म० स०] अनुप्रास शब्दालंकार का एक भेद जिसके अनुसार किसी पद्य के चरणों के अंतिम अक्षर या अक्षरों में सादृश्य होता है। |
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अंत्यावसायी (यिन्) :
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वि० [सं० अंत्य-अव√ सो (नष्ट करना) +णिनि] अत्यन्त छोटी या नीच जाति का (आदमी)। |
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अंत्याश्रम :
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पुं० [सं० अंत्य-आश्रम, कर्म० स०] वर्णाश्रम में अंतिम अर्थात् चौथा आश्रम। सन्यास आश्रम। |
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अंत्याश्रमी (मिन्) :
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वि० [सं० अंत्याश्रम+इनि] अंतिम आश्रम में रहने वाला। पुं० सन्यासी। |
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अंत्येष्टि :
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स्त्री० [सं० अंत्या-इष्टि, कर्म०स०] किसी की मृत्यु हो जाने पर किए जाने वाले कर्म-कांड संबंधी धार्मिक कृत्य या संस्कार। जैसे—हिन्दुओं में दाह कर्म या ईसाइयों, मुसलमानों आदि में मुरदा गाड़ना। |
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