शब्द का अर्थ
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अंशु :
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पुं० [सं० √अंश्+कु] १. सूर्य। २. सूर्य की किरण। ३. डोरा सूत। ४. एक प्राचीन ऋषि। ५. बहुत छोटा भाग या अंश। |
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अंशु-जाल :
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पुं० [ष० त०] किरणों का जाल या समूह। |
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अंशु-धर :
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पुं० [ष० त०] सूर्य। |
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अंशु-नाभि :
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स्त्री० [ष० त०] वह बिन्दु या स्थान जिस पर प्रकाश की रेखाएँ तिरछी होकर और मिलकर एक साथ गिरती हों। |
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अंशु-पति :
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पुं० [ष० त०] सूर्य। |
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अंशु-मर्दन :
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पुं० [ष० त०] ज्योतिष में ग्रहयुद्ध के चार भेदों में से एक। विशेष—दे० ‘ग्रहयुद्ध'। |
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अंशु-माला :
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स्त्री० [ष० त०] सूर्य की किरणें या जाल। |
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अंशुक :
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पुं० [सं० अंशु+क] १. कपड़ा, वस्त्र। २. बहुत महीन कपड़ा। ३. रेशमी कपड़ा। ४. उपरना, दुपट्टा। ५. ओढ़ना, चादर। ६. तेजपत्ता। |
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अंशुमत :
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पुं०=अंशुमान्। |
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अंशुमान् (मत्) :
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पुं० [सं० अंशु+मतुप्] १. सूर्य। २. अयोध्या के एक प्रसिद्ध सूर्यवंशी राजा। |
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अंशुमाली (लिन्) :
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पुं० [सं० अंशु√मल् (धारण) +णिनि] सूर्य। |
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अंशुल :
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वि० [सं० अंशु√ला (आदान) +क] अंशु या चमकवाला, चमकीला। पुं० चाण्क्य का एक नाम। |
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