शब्द का अर्थ
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अराज :
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वि० [सं० न० ब०] १. बिना राजा का (देश) २. क्षत्रियों से रहित। ३. दे० ‘अराजकता’। |
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समानार्थी शब्द-
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अराजक :
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वि० [सं० न० ब० कप्] [भाव० अराजकता] १. शासक या शासन-हीन (राज्य या राष्ट)। २. जो शासक या शासन की सत्ता न मानता हो अथवा उसका उल्लंघन या विरोध करता हो। ३. विद्रोही या षड़यंत्रकारी। (अनार्किस्ट) |
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अराजकता :
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स्त्री० [सं० अराजक+तल्, टाप्] १. देश में राजा या शासक का न होना या न रह जाना। २. समाज की वह अवस्था जिसमें किसी प्रकार का तंत्र, विधि, व्यवस्था या शासन न रह गया हो। (अनार्की) |
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अराजकता-वाद :
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पुं० [ष० त०] वह सिद्धांत या मतवाद जो यह प्रतिपादित करता है कि शासन अभिशाप या पाप है, क्योंकि यह व्यक्तियों की स्वतंत्रता को कम करता है और उन पर तरह-तरह के बंधन लगाता है। (अनार्किज्म) |
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अराजकतावादी (दिन्) :
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वि० [सं० अराजकता√वद्(बोलना)+णिनि] अराजकतावाद का अनुयायी, प्रतिपादक या समर्थक। |
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अराजन्य :
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वि० [सं० न० त०] १. (व्यक्ति) जो राजन्य या क्षत्रिय न हो। २. [न० ब०] (राज्य) जिसमें क्षत्रिय न हो। |
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अराजी :
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स्त्री० [अ० अर्ज का बहु०] १. धरती। भूमि। २. खेती बारी के काम में आनेवाली जमीन। |
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