शब्द का अर्थ
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जज :
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पुं० [सं०√जज् (युद्ध करना)+अच्] योद्धा। पुं० [अं०] न्यायधीश (दे०)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जजना :
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स० [सं० यजन] १. आदर करना २. पूजना। |
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जजमनिका :
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स्त्री० [हिं० जजमान] पुरोहिताई। |
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जजमान :
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पुं०=यजमान। |
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समानार्थी शब्द-
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जजमानी :
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स्त्री० [सं० यजमान] १. यजमान होने की अवस्था, पद या भाव। २. ऐसी वृत्ति जो यजमानों के कृत्य कराने से चलती हो। |
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जजा :
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स्त्री० [अ० जज़ा] १. बदला। प्रतिफल। २. परलोक में मिलनेवाला अच्छा या बुरा फल। |
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जजाति :
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पुं०=ययाति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जजित :
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पुं० [सं० यज्ञ] यज्ञकर्त्ता। उदाहरण–सुकरि कमंडल बारि, जजित आह्रान थान दिया।–चंदबरदाई। |
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जजिमान :
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पुं०=यजमान। |
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जजिया :
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पुं० [अ० जजियः] १. दंड। २. मुसलमानी राज्य-काल में अन्य धर्मवालों पर लगने वाला एक प्रकार का कर। |
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जजी :
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स्त्री० [हिं० जज+ई (प्रत्यय)] १. जज होने की अवस्था, पद या भाव। २. जज की कचहरी। |
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जजीरा :
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पुं० [अ० जजीरः] द्वीप। |
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जजीरानुमा :
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पुं० [अ०] प्रायद्वीप। |
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जज्ज :
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पुं=जज (न्यायाधीश)। |
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जज्ञ :
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पुं=यज्ञ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जज्ब :
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वि० [अ० जज़्ब](यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) १. जो सीख लिया गया हो। शोषित। २. जो हड़प लिया गया हो। |
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जज्बा :
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पुं० [अ० जज़्बा] १. भाव। भावना। २. जोश। ३. रोष। |
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