शब्द का अर्थ
|
जूठ :
|
वि०=जूठा। स्त्री०=जूठन। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जूठन :
|
स्त्री० [हिं० जूठा] १. वह खाद्य पदार्थ जो किसी ने जूठे छोड़े हों। किसी के खाने पीने से बची हुई जूठी वस्तु। मुहावरा–(किसी के यहाँ) जूठन गिराना=किसी के यहाँ निमंत्रित होकर भोजन करना। जैसे–प्रार्थना है कि आज संध्या को मेरे यहाँ आकर जूठन गिराइये। २. वह पदार्थ जो किसी दूसरे के द्वारा एक या अनेक बार काम में लाया जा चुका हो और जिसमें किसी प्रकार की नवलता या नवीनता न रह गई हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जूठा :
|
वि० [सं० जुष्ठ, प्रा० जुट्ठ] १. (खाद्य पदार्थ) जो किसी के खाने-पीने के बाद बच रहा हो। उच्छिष्ट। २. (खाद्य पदार्थ) जिसे किसी ने मुँह लगाकर या उसमें का कुछ अंश खा-पीकर अपवि या अशुद्ध कर दिया हो। जैसे–कुत्ते या बिल्ली का जूठा भोजन। ३. (पात्र या साधन) जिसके द्वारा अथवा जिसमें कुछ खाया पीया गया हो। जैसे–जूठा बरतन, जूठा हाथ। ४. (कथन या विषय) जिसका किसी ने पहले उपभोग, प्रयोग या व्यवहार कर लिया हो और इसलिए जिसमें कोई चमत्कार या नवलता न रह गई हो। जैसे–दूसरों की जूठी उक्ति। पुं०=जूठन। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |