शब्द का अर्थ
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तथा :
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अव्य० [सं० तद्+थाल] १. दो चीजों बातों आदि में योग या संगति स्थापित करनेवाला एक योजक अव्यय। और। जैसे–कृष्ण तथा राम दोनों गये। २. किसी के अनुरूप या अनुसार। वैसा ही। जैसे–यथा राम, तथा गुण। पुं० १. सत्य। २. निश्चय। ३. समता। समानता। ४. सीमा। हद। स्त्री०=तत्थ या तथ्य। (क्व०)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तथा-कथित :
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वि० [सं० तृ० त०] जो इस नाम से अथवा इस रूप में कहा जाता हो अथवा प्रसिद्ध हो, परन्तु जिसका ऐसा होना विवादास्पद अथवा संदिग्ध हो। जैसे–देश के तथा कथित नेता-ऐसे लोग जो अपने आपकों नेता कहते हैं अथवा जिन्हें लोग ‘नेता’ कहते हैं फिर भी वक्ता को जिनके नेता होने में संदेह है। |
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तथा-कथ्य :
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वि० दे० ‘तथा-कथित’। |
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तथागत :
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पुं० [सं० तथा-सत्य+गत-ज्ञान, ब० स०] बुद्ध का एक नाम। |
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तथाता :
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स्त्री० [सं० तथा+तल्-टाप्] १. तथा का भाव। २. दार्शनिक क्षेत्रों में जो वस्तु वास्तव में जैसी हो उसका ठीक वैसा ही निरूपण (विश्व के समस्त धर्मों का यही नित्य और स्थायी तत्त्व या मूल धर्म है।)। |
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तथापि :
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अव्य० [सं० तथा-अपि, द्व० स०] तो भी। तिस पर भी। फिर भी। |
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तथाराज :
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पुं० [सं० तथा√राज् (शोभित होना)+अच्] बुद्ध का एक नाम। |
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तथावस्तु :
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पद० [सं०तथा अस्तु-व्यस्त पद] (जैसा कहते हो) वैसा ही हो। एवमस्तु (आर्शीवाद शुभ-कामना आदि का सूचक)। |
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