शब्द का अर्थ
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तमस् :
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पुं० [सं०√तम् (विकल होना)+असच्] १. अंधकार। अँधेरा। २. अज्ञान। अविद्या। ३. प्रकृति का तम नामक तीसरा गुण। ४. नगर। शहर। ५. कूआँ। ६. तमसा नदी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तमस्क :
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पुं० [सं० तमस्+कन्] अंधकार। |
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तमस्कांड :
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पुं० [ष० त०] घोर अंधकार। |
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तमस्तति :
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स्त्री० [ष० त०] घोर अंधकार। |
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तमस्तूर्य :
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पुं० [ष० त०] तम का सूर्य। अँधेरे कू तुरही। उदाहरण–अस्तमिन आजरे तमस्तूर्य दिङ मंडल।–निराला। |
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तमस्वती :
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स्त्री० [सं० तमस्+मतुप्+ङीप्] अँधेरी रात। |
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तमस्विनी :
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स्त्री० [सं० तमस्विन्+ङीष्] १. अँधेरी रात। २. रात्रि। ३. हल्दी। |
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तमस्वी(स्विन्) :
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वि० [सं० तमस्+विनि] अंधकारपूर्ण। |
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तमस्सुक :
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पुं० [अ०] १. वह लेख्य जो ऋण लेने वाला महाजन को लिखकर देता है। २. किसी प्रकार का विधिक लेख्य। दस्तावेज। |
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