शब्द का अर्थ
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तरन :
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पुं० १. दे० तरण। २. दे० ‘तरौना’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तरन-तारन :
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पुं० [सं० तरण, हिं० तरना] १. उद्धार। २. वह जो भव सागर से किसी को पार उतारता हो। ईश्वर। वि० १. डूबते हुए को तारने या उबारनेवाला। २. भवसागर से पार करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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तरनतार :
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पुं० [सं० तरण] निस्तार। मोक्ष। वि०=तरन-तारन। |
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समानार्थी शब्द-
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तरना :
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अ० [सं० तरण] १. पानी के तल के ऊपर रहना। ड़ूबना का विपर्याय २. अंगो के संचालन अथवा किसी अन्य शारीरिक व्यापार के द्वारा जल को चीरते हुए आगे बढ़ना। तैरना। ३. आवागमन या सांसारिक बंधनों से मुक्त होना। सदगति प्राप्त करना। ४. व्यापारिक क्षेत्रों में, ऐसी रकम का वसूल होना या वसूल हो सकने के योग्य होना जो प्रायः डूबी हुई समक्ष ली गई हो। जैसे–वे मुकदमा जीत गये हैं, इसलिए हमारी रकम भी तर गई। स० माल ढोनेवाले जहाजों का वह अधिकारी जो रास्ते में व्यापारिक कार्यों की देख-रेख और व्यवस्था करता है। अ० दे० ‘तलना’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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तरनाग :
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पुं० [देश०] एक तरह की चिड़िया। |
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समानार्थी शब्द-
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तरनाल :
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पुं० [?] पुरानी चाल के जहाजों में लगा रहनेवाला वह रस्सा जिससे पाल को धरन में बाँधते थे (लश०)। |
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समानार्थी शब्द-
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तरनि :
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स्त्री० [सं० तरणि] नदी। सरिता। |
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समानार्थी शब्द-
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तरनिजा :
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स्त्री०=तरणिजा (यमुना)। |
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तरनी :
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स्त्री० [सं० तरणी] नाव। नौका। पुं० [सं० तरणि] सूर्य। उदाहरण–डमरू के आकार की वह लंबी रचना जिसपर खोमचेवाले अपना थाल रखकर सौदा बेचते हैं। |
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तरन्नि :
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स्त्री०=तरनी। (नदी)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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