शब्द का अर्थ
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तिथ :
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पुं० [सं०√तिज् (तीखा करना)+थक्] १. अग्नि। आग। २. कामदेव। ३. काल। समय। ४. वर्षा। काल। बरसात। स्त्री०=तिथि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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तिथि :
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स्त्री० [सं०√अत्(सतत गमन)+इथिन] १. चांद्रमास के किसी पक्ष का कोई दिन अथवा उसे सूचित करनेवाली कोई संख्या। मिती। विशेष–प्रतिपदा से अमावस्या या पूर्णिमा तक सादारणतः १५ तिथियां होती है। २. उक्त के आधार पर पंद्रह की संख्या। ३. श्राद्ध आदि करने के विचार से किसी की मृत्यु की तिथि। ४. दे० ‘दिनाँक’। |
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तिथि-क्षय :
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पुं० [ष० त०] चांद्र गणना के अनुसार पक्ष में किसी तिथि का घटना या मान न होना। तिथिहानि। |
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तिथि-पति :
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पुं० [ष० त०] वह देवता जो किसी तिथि का स्वामी हो। विशेष–बृहत्संहिता के अनुसार प्रतिपदा के ब्रह्मा, दूज के विधाता, षष्ठी के षडानन आदि आदि देवता माने गये हैं। |
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तिथि-पत्र :
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पुं० [ष० त०] पंचांग। पत्रा। |
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तिथित :
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भू० कृ० [सं० तिथि से] जिस पर तिथि या तारीख डाली गई या पड़ी हुई हो। (डेटेस) |
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तिथिप्रणी :
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पुं० [सं० तिथि+प्र√नी (ले जाना)+क्विप्] चंद्रमा। |
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तिथ्य :
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स्त्री०=तिथि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=तथ्य। |
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तिथ्यर्ध :
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पुं० [तिथि-अर्ध, ष० त०] करण। (ज्योतिष)। |
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