शब्द का अर्थ
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तुक :
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स्त्री० [हिं० टूक-टुकड़ा] १. कविता, गीत आदि के चरण का वह अंतिम व्यंजन (या स्वरयुक्त व्यंजन) शब्द, या पद जिसके अनुप्रास का निर्वाह आगे के चरणों पदों आदि में करना आवश्यक होता है। अत्यानुप्रास। अक्षर-मैत्री। काफिया। पद–तुक-बंदी (देखें)। मुहावरा–तुक जोड़ना=कविता, गीत आदि के लिए ऐसे चरण या पद बनाना जिनके अंतिम वर्णों, शब्दों आदि में ध्वनिसाम्य मात्रा हो, कौशलपूर्ण या भावमय कवित्वगुण का अभाव हो। जैसे–हम तुक जोड़नेवाले कवियों की बात नहीं कहते। २. बोल-चाल में आनेवाले किसी शब्द के जोड़ का वह दूसरा शब्द जो उच्चारण या ध्वनि के विचार से उस पहले शब्द के जोड़ या बराबरी का होता है। काफिया। जैसे–कच्चा का तुक बच्चा और कड़ा का तुक बड़ा है। ३. दो बातों या कार्यों का पारस्परिक सामंजस्य। ४. ऐसा औचित्य जिसका निर्वाह पूर्वापर संबंध को देखते हुए आवश्यक, उपयुक्त या शोभन हो। जैसे–आप उनके प्रीति-भोज में जो बिना बुलाये चले गये उसमें क्या तुक था। ५. तीर के अगले भाग में लगी हुई घुंडी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तुकना :
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स० हिं० ‘तकना’ का अनु०। |
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तुकबंदी :
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स्त्री० [हिं० तुक+फा० बंदी] ऐसी साधारण कविता करना जिसके चरणों के अंत में एक सी तुक या अंत्यानुप्रास के सिवा कोई विशेष भाव या रस न हो। भद्दी या साधारण कविता जिसमें भाव या भाषा का कुछ भी सौन्दर्य न हो। (व्यंग्य)। |
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तुकमा :
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पुं० [फा०] वह फंदा जिसमें पहनने के कपड़ों की घुंडी फँसाई जाती है। पाशक। मुद्धी |
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तुका :
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पुं० [फा० तुकः] १. बिना गाँसी का तीर। तुक्का। २. ऐसा उपाय या तरकीब जिससे कार्य की सिद्धि होने की संभावना न हो। |
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तुकांत :
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स्त्री० [हिं० तुक+सं० अंत] चरणों के अंत में होनेवाला तुक या मेल। अंत्यानुप्रास। |
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तुकार :
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स्त्री० [हि० तू+सं० कार] ‘तू’ कहकर किसी को पुकारना या संबोधित करना। |
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तुकारना :
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स० [हिं० तुकार] ‘तू’ कहकर किसी को पुकारने या संबोधित करना |
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तुकारी :
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स्त्री० [ हिं० तुकारना] तुकारने की क्रिया या भाव। तुकार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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तुक्कड़ :
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पुं० [हिं० तुक+अक्कड़ (प्रत्यय)] केवल तुक जोड़नेवाला अर्थात् बहुत ही निम्नकोटि का कवि। |
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तुक्कल :
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स्त्री० [फा० तुका] एक तरह की बड़ी पतंग। |
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तुक्का :
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पुं० [फा० तुकः] १. वह तीर जिसमें गांसी के स्थान पर घुंडी सी बनी होती है। २. नरकट, सरकंडे आदि का वह टुकड़ा जो लड़के खेल में छोटी सी कमान पर इधर-उधर चलाते या फेंकते हैं। जैसे–लगा तो तीर नही तो तुक्का है ही। ३. कोई लंबी और सीधी चीज या उसका टुकड़ा। जैसे–वह अपने दरवाजे पर तुक्का सा खड़ा था। ४. छोटा टीला। टेकरी। |
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तुक्खार :
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पुं० [सं०]=तुखार। |
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