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तोड़  : पुं० [हिं० तोड़ना] १. तोड़े या तोड़े जाने की क्रिया, दशा या भाव। २. पानी हवा आदि का वह तेज बहाव जो सामने पड़नेवाली चीजों को तोड़-फोड़ डालता हो या तोड़-फोड़ सकता हो। जैसे–(क) इस घाट पर पानी का जबरदस्त तोड़ पड़ता है। (ख) छोटे-मोटे पेड़ हवा का तोड़ नही सह सकते। ३. कोई ऐसा काम, चीज या बात जो किसी दूसरे बड़े काम, चीज या बात का प्रभाव नष्ट कर सकता हो या उसे व्यर्थ कर सकता हो। जैसे–नशे का तोड़ खटाई है। ४. कुश्ती में वह दाँव-पेंच जो विपक्षी का दाँव-पेंच व्यर्थ कर सकता हो। ५. किले की दीवार का वह अंश जो गोलों की मार से टूट फूट गया हो। ६. दफा। बार। जैसे–उनसे कई तोड़ या लड़ाई या मुकदमेबाजी हो चुकी है। ७. दही का पानी (जो उसके छूटने अर्थात् गलने से बनता है)
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तोड़-जोड़  : पुं० [हिं० तोड़+जोड़] १. कहीं से कुछ तोड़ने और कहीं कुछ जोड़ने की अवस्था, क्रिया या भाव। उदाहरण–तोड़ी जो उसने मुझसे जोड़ी रकबी से। इन्शा तू अपने यार केयो तोड़-जोड़ देख। इन्शा। २. ऐसा उपाय, युक्ति या साधन जो किसी बिगड़ती हुई बात को बना सके अथवा बनी-बनाई बात बिगाड़ सके। जैसे–वह तोड़-जोड़कर जैसे–तैसे अपना काम निकाल ही लेता है। क्रि० प्र०–करना।–भिड़ना।–मिलाना।–लगाना।
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तोड़-फोड़  : स्त्री० [हिं० तोड़ना+फोड़ना] १. तोडऩे और फोड़ने की क्रिया या भाव। २.जान-बूझकर हानि पहुँचाने के उद्देश्य से किसी भवन या रचना के कुछ अंशों को खंडित करना ३. दे० ‘ध्वसंन’।
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तोड़क  : वि० [सं०√तुड् (तोड़ना)+ण्वुल्-अक] तोड़नेवाला। जैसे–जात-पात तोड़क मंडल। (असिद्ध रूप)। पुं० [?] स्त्रियों का माँग-टीका नाम का गहना। (पूरब)।
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तोड़न  : पुं० [सं०√तुड्+ल्युट्-अन] १. तोड़ने की क्रिया या भाव। २. भेदन करना। ३. आघात या चोट पहुँचाना।
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तोड़ना  : स० [हिं० टूटना] १. किसी चीज पर बराबर आघात करते हुए उसे छोटे-छोटे खंडों में विभक्त करना। जैसे–पत्थर या गिट्टी तोड़ना। २. ऐसा काम करना जिससे कोई वस्तु खंडित, भग्न या नष्ट-भ्रष्ट हो जाय तथा काम में आने योग्य न रह जाय। जैसे–शीशे का गिलास तोड़ना। सं० क्रि०–डालना।–देना। ३. किसी वस्तु के कोई अंग अथवा उसमें लगी हुई कोई वस्तु काट-कर या और किसी प्रकार उससे अलग करना या निकाल लेना। जैसे–वृक्ष से फल या फूल तोड़ना, किताब की जिल्द तोड़ना, जानवर के दाँत तोड़ना। ४. किसी वस्तु का कोई अंग इस प्रकार खंडित या भग्न करना कि वह ठीक तरह से या पूरा काम करने योग्य न रह जाय। जैसे–(क) घड़ी या सिलाई की मशीन तोड़ना। (ख) किसी के हाथ-पैर तोड़ना। ५. नियम, निश्चय आदि का पालन न करके अपनी दृष्टि से उसे निरर्थक या व्यर्थ करना। जैसे–(क) अपनी प्रतिज्ञा (या किसी के साथ किया हुआ समझौता) तोड़ना। (ख) व्रत तोड़ना। ६. किसी चलते या होते हुए काम, व्यवस्था, संघटन आदि का स्थायी रूप से अन्त या नाश करना। जैसे–शासन का कोई पद या विभाग तोड़ना। ७. बल, प्रभाव, महत्त्व, विस्तार आदि घटाना या नष्ट करना। अशक्त, क्षीण या दुर्बल करना। जैसे–(क) बाजार की मन्दी ने बहुत व्यापारियों को तोड़ दिया। (ख) दमे (या यक्ष्मा) ने उनका शरीर तोड़ दिया। ८. किसी प्रकार नष्ट या विच्छिन्न करके समाप्त कर देना। चलता या बना न रहने देना। जैसे–(क) किसी का घमंड तोड़ना। (ख) किसी से नाता (या संबंध) तोड़ना। किसी की दृढ़ता, बल आदि घटाकर या नष्ट करके उसे उसके पूर्व रूप में स्थित या स्थिर न रहने देना। जैसे–(क) मुकदमें में विपक्षी के गवाह तोड़ना। (ख) कमर या हिम्मत तोडना। १॰. खरीदने के समय किसी चीज का दाम घटाकर कुछ कम करना। जैसे–तुमने तो तोड़कर दस रुपये कम कर ही लिये। ११. खेत में हल चलाकर उसकी सतह की मिट्टी खंडित करके ढेलों के रूप में लाना। १२. किसी कुमारी के साथ पहले-पहल समागम करना। (बाजारू) १३.चोरी करने के लिए सेंध लगाना। जैसे–चोर ताला तोड़ कर सब माल उठा ले गये। १४. बड़े सिक्कों को छोटे-छोटे सिक्कों में बदलवा देना। विशेष–यह क्रिया अनेक संज्ञाओं के साथ लगकर उन्हें मुहावरों का रूप देती है, और ऐसे अवसरों पर उनके भिन्न-भिन्न प्रकार के अर्थ होते हैं जैसे–किसी के पैर या मुँह तोड़ना, किसी से तिनका तोड़ना, किसी को रोटी (रोटियाँ) तोड़ना आदि। ऐसे अवसरों के लिए सम्बद्ध शब्द या संज्ञाएँ देखनी चाहिएँ।
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तोड़र  : पुं०=तोड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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तोड़वाना  : स० [भाव० तुड़वाई] तुड़वाना।
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तोड़ा  : पुं० [सं० त्रुट, हिं० तोड़ना] १. टूटने या तोड़ने की क्रिया या भाव। टूट। २. किसी चीज को तोड़कर उसमें से अलग किया या निकाला हुआ अंश या बाग। खंड। टुकड़ा। जैसे–रस्सी या रस्से का तोड़ा। ३. घाटा। टोटा। (देखें)। क्रि० प्र०–आना–पड़ना। ४. वह मैदान या स्थान जो नदी के तोड के कारण कटकर अलग हो गया हो। ५. वह स्थान जो प्रायः नदियों के संगम पर उस बालू और मिट्टी के इकट्ठे होने से बनता है जो नदी अपने साथ मैदानों में से तोड़कर लाती है। क्रि० प्र०–पड़ना। ६. नदी का किनारा। तट। ७. नाच का उतना टुकड़ा जितना एक बार में नाचा जाता है और जिसमें प्रायः एक ही वर्ग की गतियाँ अथवा एक ही प्रकार के भावों की सूचक अंग-भंगियाँ या मुद्राएँ होती है। क्रि० प्र०–नाचना। ८. चाँदी आदि की लच्छेदार और चौड़ी जंजीर या सिकरी जिसका व्यवहार आभूषण की तरह पहनने में होता है। जैसे–गलें पैर या हाथ में पहनने का तोड़ा। ९. टाट की वह थैली जिसमें चाँदी के १॰॰॰) आते या रखे जाते हों। मुहावरा–(किसी के आगेध तोड़ा उलटना या गिराना-(किसी को) सैकड़ों, हजारों रुपए देना। बहुत सा धन देना। १॰. हल के आगे की वह लंबी लकड़ी जिसके अगले सिरे पर जूआ लगा रहता है। हरिस। ११.खूब अच्छी तरह साफ की हुई वह चीनी जिसके दाने या रवे कुछ बड़े होते हैं और जिससे ओला बनता था। कन्द। १२. अभिमान। घमंड। मुहावरा–तोड़ा लगाना–अभिमान या घमंड दिखाना। पद–नक-तोड़ (देखें)। पुं० [सं० तुंड या टोंटा] १. नारियल की जटा की वह रस्सी जिसके ऊपर सूत बुना रहता था और जिसकी सहायता से पुरानी चाल की तोड़दार बंदूक छोड़ी जाती थी। पलीता। पद–तोड़दार बंदूक-पुरानी चाल की वह बंदूक जो तोड़ा दागकर छोड़ी जाती थी। २. जिसे लोहा जिसे चकमक पर मारने से आग निकलती है और जिसकी सहायता से तोड़ेदार बन्दूक चलाने का तोड़ा या पलीता सुलगाया जाता था।
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तोड़ाई  : स्त्री०=तुड़वाई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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