शब्द का अर्थ
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तोष :
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पुं० [सं०√तुष् (सन्तोष करना)+घञ्] १. अघाने या मन भरने की क्रिया या भाव। तुष्टि। तृप्ति। २. असंतोष, कष्ट हानि आदि का प्रतिकार हो जाने पर मन में होनेवाली तृप्ति। (सोलेस) ३.खुशी। प्रसन्नता। ४.पुराणानुसार स्वायंभुव मनु के एक देवता। ५.श्रीकृष्ण के एक सखा। अव्य०अल्प। कुछ । थोड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
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तोष-पत्र :
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पुं० [मध्य० स०] वह पत्र जिसमें राज्य की ओर से जागीर मिलने का उल्लेख रहता है। बख्शिशनामा। |
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तोषक :
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वि० [सं०√तुष्+णिच्+ण्वुल–अक] तोष देने या तृप्त करने वाला। सन्तुष्ट करनेवाला। |
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तोषण :
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पुं० [सं०√तुष्+णिच्+ल्युट–अन] १. किसी को तुष्ट या तृप्त करने की क्रिया या भाव २. [√तुष्+ल्युट्] तृप्ति। वि० [√तुष्+णिच्+ल्यु-अन] तुष्ट या प्रसन्न करनेवाला। (यौं० पदों के अन्त में)। |
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तोषणिक :
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पुं० [सं० तोषक+ठन्-इक] वह धन जो किसी को तुष्ट करने के उद्देश्य से दिया जाय। |
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तोषता :
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स्त्री०=तोष। (तुष्टि)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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तोषना :
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स० [सं० तोष] तृप्त या संतुष्ट करना। तृप्त करना। उदाहरण–विग्र, पितर, सुर, दान, मान, पूजा सौं तोषे।–रत्नाकर। अ० तृप्त या सन्तुष्ट होना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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तोषल :
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पुं० [सं०] १. कंस का एक असुर मल्ल जिसे धनुर्यज्ञ में श्रीकृष्ण नेमार डाला था। २. मूसल। |
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तोषार :
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पुं० १.=तुषार। २.=तुखार। (देश०)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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तोषित :
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वि० [सं०√तुष्+णिच्+क्त] जिसका तोष हो गया हो, अथवा जिसे तृप्त किया गया हो। तुष्ट। तृप्त। |
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तोषी(षिन्) :
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वि० [सं०√तुष्+णिनि] समस्तप दों के अन्त में, (क) सन्तुष्ट होनेवाला। थोड़ी -सी चीज या बात से संतुष्ट होनेवाला। जैसे–अल्प-तोषी। (ख) [√तुष्+ णिच्+णिनि] तुष्ट या संतुष्ट करनेवाला। जैसे–सर्व तोषी-सबको तुष्ट करनेवाला। |
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