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शब्द का अर्थ
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पाई :
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वि० [फा० पाईन] १. सामनेवाला। २. नीचेवाला। ३. अंतिम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाई :
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स्त्री० [सं० पाद, पुं० हिं० पाय] १. खड़ी या सीधी या सीधी लकीर। २. वह छोटी खड़ी रेखा जो वाक्य के अंत में पूर्णविराम सूचित करने के लिए लगाई जाती हैं। लेखों आदि में पूर्णविराम का सूचक चिह्न। ३. पाँ। पैर। ४. घेरा बाँध कर चलने या नाचने की किया या भाव। ५. पतली छड़ियों या बेतों का बना हुआ। जुलाहों का एक ढाँचा जिस पर ताने का सूत फैलाकर उन्हें मांजते हैं। टिकटी। अट्ठा। मुहा०—ताना-पाई करना=बार-बार इधर से उधर और उधर से इधर आते-जाते रहना। ६. ताने का सूत माँजने की क्रिया। ७. घोड़ों के पैर सजने का एक रोग। ८. ताँबे का एक पुराना छोटा सिक्का जो एक पैसे के तिहाई मूल्य का होता था और जिसका चलन अब उठ गया है। ९. ताँबें का पैसा। (पूरब) १॰. वह पिटारी जिसमें देहाती स्त्रियाँ साधारण गहने-कपड़े रखती हैं। स्त्री० [हिं० पाना=प्राप्त करना] प्राप्त करने अर्थात् पाने की क्रिया या भाव। जैसे—भर-पाई की रसीद। स्त्री० [हिं० पाया=पाई कीड़ा] एक प्रकार का छोटा लंबा कीड़ा जो घुन की तरह अन्न में लगाकर उसे खा जाता है और उसे अंकुरित होने के योग्य नहीं रहने देता। क्रि० प्र०—लगना। स्त्री० [अं०] १. ढेर के रूप में मिले हुए छापे के टाइप। २. छापेखाने में सीसे के वे अक्षर या टाइप जो घिस-पिस अथवा टूट-फूट जाने के कारण निकम्मे या रद्दी हो गये हों, और ढेर के रूप में अलग रख दिये गये हों। ३. छापेखाने में सीसे के अक्षरों या टाइपों का वह ढेर जो अव्यवस्थित रूप से कहीं पड़ा हो। |
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समानार्थी शब्द-
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वि० [फा० पाईन] १. सामनेवाला। २. नीचेवाला। ३. अंतिम। |
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स्त्री० [सं० पाद, पुं० हिं० पाय] १. खड़ी या सीधी या सीधी लकीर। २. वह छोटी खड़ी रेखा जो वाक्य के अंत में पूर्णविराम सूचित करने के लिए लगाई जाती हैं। लेखों आदि में पूर्णविराम का सूचक चिह्न। ३. पाँ। पैर। ४. घेरा बाँध कर चलने या नाचने की किया या भाव। ५. पतली छड़ियों या बेतों का बना हुआ। जुलाहों का एक ढाँचा जिस पर ताने का सूत फैलाकर उन्हें मांजते हैं। टिकटी। अट्ठा। मुहा०—ताना-पाई करना=बार-बार इधर से उधर और उधर से इधर आते-जाते रहना। ६. ताने का सूत माँजने की क्रिया। ७. घोड़ों के पैर सजने का एक रोग। ८. ताँबे का एक पुराना छोटा सिक्का जो एक पैसे के तिहाई मूल्य का होता था और जिसका चलन अब उठ गया है। ९. ताँबें का पैसा। (पूरब) १॰. वह पिटारी जिसमें देहाती स्त्रियाँ साधारण गहने-कपड़े रखती हैं। स्त्री० [हिं० पाना=प्राप्त करना] प्राप्त करने अर्थात् पाने की क्रिया या भाव। जैसे—भर-पाई की रसीद। स्त्री० [हिं० पाया=पाई कीड़ा] एक प्रकार का छोटा लंबा कीड़ा जो घुन की तरह अन्न में लगाकर उसे खा जाता है और उसे अंकुरित होने के योग्य नहीं रहने देता। क्रि० प्र०—लगना। स्त्री० [अं०] १. ढेर के रूप में मिले हुए छापे के टाइप। २. छापेखाने में सीसे के वे अक्षर या टाइप जो घिस-पिस अथवा टूट-फूट जाने के कारण निकम्मे या रद्दी हो गये हों, और ढेर के रूप में अलग रख दिये गये हों। ३. छापेखाने में सीसे के अक्षरों या टाइपों का वह ढेर जो अव्यवस्थित रूप से कहीं पड़ा हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाईगाह :
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स्त्री० [फा० पाएगाह] १. अश्वाला। तबेला। २. किसी बडे आदमी के प्रासाद या महल की ड्योढ़ी(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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स्त्री० [फा० पाएगाह] १. अश्वाला। तबेला। २. किसी बडे आदमी के प्रासाद या महल की ड्योढ़ी(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाईता :
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पुं० [देश०] एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में एक मगण, एक भगण और एक सगण होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाईता :
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पुं० [देश०] एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में एक मगण, एक भगण और एक सगण होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाईबाग :
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पुं० [फा०+अ०] घर के साथ लगा हुआ बाग। नजरबाग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाईबाग :
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पुं० [फा०+अ०] घर के साथ लगा हुआ बाग। नजरबाग। |
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