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शब्द का अर्थ
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फैलना :
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अ० [सं० प्रसरण, प्रा० पयल्ल+ना (प्रत्यय)] १. किसी चीज का चारों ओर दूर तक विस्तृत प्रदेश में स्थित रहना या होना। विस्तार से युक्त होना। जैसे—(क) यह पर्वत (प्रदेश) सैकड़ों मील तक फैला है। (ख) कपड़े पलंगनी पर पैले हैं। २. किसी चीज का अभिवर्द्दित होकर अथवा पनपकर बहुत दूर तक पहुँचना। इधर-उधर बढ़ते हुए अधिक स्थान घेरना। जैसे—बगीचे में लताओं का फैलना। ३. किसी क्षेत्र, प्रदेश या स्थान में प्रबावपूर्ण तथा सक्रिय होना। जैसे—(क) शहर में बीमारी फैलना। (ख) गाँव मे आग फैलना। ४. आकार, रूप आदि में पहले से अधिक बड़ा या बढ़ा हुआ होना। जैसे—(क) बादी से शरीर फैलना। (ख) आबादी बढ़ने से बस्ती का चारों तरफ फैलना ५. अधि-क्षेत्र या कार्यक्षेत्र की सीमाएँ बढ़ना। जैसे—विदेशों में व्यापार फैलना। ६. बात आदि का व्यापक क्षेत्र में चर्चा का विषय बनना। जैसे—हड़ताल की खबर फैलना। ७. चारों ओर छितरा या बिखरा हुआ होना। जैसे—कमरे में सारा सामान फैला पड़ा है। ८. किसी प्रकार के अवकाश, विवर आदि का यथासाध्य अधिक विस्तृत होना। जैसे—मुँह फैलना। ९. किसी काम, चीज या बात का प्रचलन या प्रचार में आना। जैसे—आज-कल स्त्रियों में फैशन बहुत फैल गया है। १॰. किसी रूप में दूर-दूर तक पहुँचा हुआ होना या लोगों की जानकारी में होना। जैसे—बदनामी पैलना, बदबू फैलना। ११. व्यक्तियों के संबंध में, कुछ अधिक पाने या लेने के लिए आग्रहपूर्वक याचना या हठ करना। जैसे—दस रुपए इनाम मिल जाने पर भी पंडे कुछ और पाने के लिए फैलने लगे। १२. गणित के प्रसंग में लेख या हिसाब का परिकलन होना या बैठाया जाना। |
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समानार्थी शब्द-
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