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रोट  : पुं० [हिं० रोटी] १. गेहूँ के आटे की बहुत मोटी रोटी। लिट्ट। २. देवताओं आदि पर चढ़ाने के लिए एक प्रकार की मीठी मोटी रोटी। मुहावरा—रोट होना या हो जाना=दब या पिसकर सपाट (अर्थात् निकम्मा और नष्ट) होना। उदाहरण—बिसरै भुगुति होहु तुम रोटा।—जायसी। ३. हाथी का रातिब।
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रोटका  : पुं० [देश] बाजरा।
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रोटिका  : स्त्री० [सं०√रुट्+ण्वुल्-अक+टाप्, इत्व] छोटी रोटी। चपाती।
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रोटिहा  : पुं० [हिं० रोटी+हा (प्रत्यय)] केवल रोटी अर्थात् साधारण भोजन के बदले में काम करनेवाला नौकर। (तुच्छता-सूचक) जैसे—रोटिहा चाकर मुसहा घोड़। (कहा०)
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रोटिहान  : पुं० [हिं० रोटी] चूल्हे के पास का मिट्टी का वह छोटा चबूतरा जिस पर पकाई हुई रोटीयाँ रखी जाती है।
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रोटी  : स्त्री० [?] १. गेहूँ, जौ, बाजरे, मक्का आदि अन्नों के गुँधे हुए आटे से आँच पर सेंककर पकाई हुई वह चिपटी, पतली और वर्तुल चीजें जो अधिकतर देशों में लोग नित्य पेट भरने के लिए खाते हैं। (इसके चपाती, पराँठा, फुलका आदि अनेक रूप होते हैं) पद—रोटी का पेट=रोटी का वह तल जो पहले गरम तवे पर डाला जाता है। रोटी की पीठ=रोटी का वह तल या पार्श्व जो उसका विपरीत तल या पदार्थ पक जाने पर उलटकर तवे पर डाला जाता है। क्रि० प्र०—खाना।—पकाना।—बनाना।—सेंकना। २. एक समय प्रायः एक साथ बनाई जानेवाली कुछ विशिष्ट चीजें जिनमें उक्त खाद्य पदार्थ के सिवा चावल, दाल, तरकारी आदि भी सम्मिलित रहती हैं। रसोई। जैसे—(क) उनके यहाँ दोनों समय रोटी बनाने के लिए ब्राह्मणी आती है। (ख) हम चार दिन दिल्ली रहे, पर उन्होंने किसी दिन रोटी तक के लिए न कहा। पद—रोटी-कपड़ा, रोटी-दाल। मुहावरा—(किसी की या किसी के यहाँ) रोटियाँ तोड़ना=किसी के घर पड़े रहकर कृपा से अपना पेट पालना। बैठे-बैठे किसी का दिया खाना। जैसे—साल भर से तो वह अपने ससुर की (या ससुर के यहाँ) रोटियाँ तोड़ रहा है। (किसी को) रोटियाँ लगना=किसी को पूरा और मुफ्त का भोजन मिलने से मोटाई सूझना। भर-पेट भोजन पाकर इतराते फिरते रहना। ३. उक्त प्रकार की चीजें खाने के लिए किसी के यहाँ मिलनेवाला निमन्त्रण। जैसे—आज भाई साहब के यहाँ उनकी रोटी है (अर्थात् उन्हें रोटी आदि खाने का निमन्त्रण मिला है)। ४. जीविका-निर्वाह का ऐसा साधन जिससे अपना और अपने परिवार का पेट पाला जाता हो। मुहावरा—रोटी कमाना=जीविका उपार्जन करना। (किसी काम या बात की) रोटी खाना= किसी काम या बात के द्वारा ही अपनी जीविका चलाना या निर्वाह करना। जैसे—वह तो दूसरों में लड़ाई-झगड़ा कराने की रोटी खाता है। रोटियाँ लगना=ऐसी स्थिति में आना या होना कि अपना और बाल-बच्चों का पेट भरने का कष्ट न रह जाय। जीविका निर्वाह का साधन प्राप्त होना। जैसे—उन्हें नौकरी मिल गई, चलो रोटियों से लग गए।
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रोटी-कपड़ा  : पुं० [हिं०] १. भोज्य पदार्थ और पहनने के वस्त्र। रोटी कपडे के लिए अर्थात भरण-पोषण के लिए दिया जानेवाला धन। जैसे—उसने अपने पति पर रोटी-कपड़े का दावा किया है।
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रोटी-दाल  : स्त्री०[हिं०] १. चावल, दाल, रोटी आदि कच्ची रसोई। २. साधारण रूप से चलने-वाली जीविका। जैसे—आज-कल तो रोटी-दाल चली चले यही बहुत है। क्रि० वि०—चलना।
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रोटी-फल  : पुं० [हिं० रोटी+फल] १. एक प्रकार के वृक्ष का फल जो खाने में बहुत अच्छा होता है। २. उक्त का पेड़ जो अनन्नास और कटहल के पेड़ों की तरह होता है।
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