| शब्द का अर्थ | 
					
				| लब					 : | पुं० [फा] १. ओष्ठ। ओंठ। होंठ। २. होंठ पर की थूक। जैसे—लब लगाकर लिफाफा बन्द करना अच्छा नहीं। ३. जलाशय आदि का किनारा या तट। ४. बरतन आदि में ऊपरवाले सिरे का घेरा। पद—लबालब। ५. किसी चीज का किनारा या सिरा। जैसे—लबे सड़क=सड़क के ठीक किनारे पर। | 
			
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				| लब-लहका					 : | वि० [हिं० लपना+लहकना] [स्त्री० लबलहकी] १. किसी वस्तु को देखते ही उसकी ओर लपकनेवाला। अधीर और लालची। २. अकारण और व्यर्थ हर चीज इधर-उधर करनेवाला। | 
			
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				| लब-लहजा					 : | पुं० [फा० लब+लहज़ः] उच्चारण करने या बोलने का ढंग। | 
			
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				| लबझना					 : | अ०=उलझना। | 
			
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				| लबड़-धोंधों					 : | स्त्री० [हिं० लबाड़+धूम] १. झूठ-मूठ का हलका। व्यर्थ का गुल-गपाड़ा। २. वास्तविक बात को दबाकर झूठ-मूठ इधर-उधर की की जानेवाली बातें। बड़ी-बड़ी बातें बनाकर असल काम या बात टालना। क्रि० प्र०—मचाना। ३. उक्त प्रकार की बातें करनेवाला व्यक्ति। (पश्चिम) ४. कुव्यवस्था। ५. अन्याय। अंधेर। | 
			
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				| लबड़ना					 : | अ० [हिं० लबाड़] १. झूठ बोलना। लबाड़ी करना। २. गप हाँकना। अ० स०=लिबड़ना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| लबदा					 : | पुं० =लबेदा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| लबनी					 : | स्त्री० [देश] १. वह हाँड़ी जिसमें ताड़ के पेड़ का रस चुआया जाता है। ताड़ी चुआने की हाँड़ी। २. बड़ी डोई। | 
			
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				| लबरा					 : | वि० [स्त्री० लबरी] झूठ बोलनेवाला। | 
			
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				| लबलबी					 : | स्त्री० =लिबलिबी। | 
			
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				| लबाड					 : | वि० [सं० लपन=बकना] १. झूठा। मिथ्यावादी। २. गप्पी। | 
			
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				| लबाड़िया					 : | वि० =लबाड़। | 
			
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				| लबाड़ी					 : | स्त्री० [हिं० लबाड़] १. व्यर्थ की कही जानेवाली झूठी बातें। २. गप। वि० =लबाड़। | 
			
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				| लबादा					 : | पुं० [फा० लबादः] १. रूईदार चोगा। दगला। २. अँगरखै की तरह का एक प्रकार का भारी और लंबा पहनावा। अवा। चोंगा। | 
			
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				| लबाब					 : | वि० [अ०] खालिस। बेमेल। शुद्ध। पुं० १. सारभाग। सारांश। २. गूदा। मगज। | 
			
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				| लबार					 : | वि० =लबाड़। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| लबारी					 : | स्त्री० =लबाड़ी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| लबालब					 : | वि० [फा] लब अर्थात् किनारे या किनारों तक भरा हुआ। जैसे—लबालब भरा हुआ तालाब। | 
			
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				| लबासी					 : | वि० =लबाड़। स्त्री० =लबाड़ी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| लबी					 : | स्त्री० =राब (गुड़ या शीरा)। | 
			
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				| लबेद					 : | पुं० [सं० वेद का अनु०] १. ऐसी बात जो वेद शास्त्रों से सम्मत न हो, बल्कि उनके विरुद्ध भले ही हो। २. फालतू और व्यर्थ की बात। वि० वेद विरुद्ध बातें कहनेवाला। | 
			
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				| लबेदा					 : | पुं० [सं० लबेद] [स्त्री० अल्पा० लबेदी] मोटा तथा बड़ा डंडा। | 
			
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				| लबेदी					 : | स्त्री० [हिं० लबेद] लबेद के रूप में होनेवाला आचरण, कृत्य या व्यवहार। | 
			
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				| लबेरा					 : | पुं० =लसोड़ा। | 
			
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				| लब्ध					 : | भू० कृ० [सं०√लभ् (पाना)+क्त] १. मिला या प्राप्त किया हुआ। २. उपार्जित किया या कमाया हुआ। ३. भाग करने से निकला हुआ शेषफल। भाग फल। ४. जिसने पाया या प्राप्त किया हो। यौ० के आरम्भ में। जैसे—लब्ध-काम, लब्ध कीर्ति आदि। पुं० दस प्रकार के दासों में से एक प्रकार का दास (स्मृति)। | 
			
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				| लब्ध-दक्ष					 : | पुं० [ब० स०] जिसने किसी निशने पर वार किया हो। २. जिसे अभिप्रेत वस्तु प्राप्त हो गई हो। | 
			
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				| लब्ध-प्रतिष्ठ					 : | वि० [ब० स०] जिसने किसी कार्य या क्षेत्र में अच्छी प्रतिष्ठा प्राप्त की हो। प्रतिष्ठित। सम्मानित। | 
			
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				| लब्ध-प्रशमन					 : | पुं० [ष० त०] मिले हुए धन का सत्पात्र को दिया जानेवाला दान। (मनु०) | 
			
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				| लब्ध-वर्ण					 : | पुं० [सं] वह जिसने वर्णों (अक्षरों और शब्दों) का ज्ञान प्राप्त किया हो, अर्थात् पंडित। | 
			
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				| लब्धव्य					 : | वि० [सं√लभ् (प्राप्ति)+तव्य] प्राप्त किये जाने के योग्य। | 
			
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				| लब्धा (व्धृ)					 : | वि० [सं√लभ् (पाना)+तृच्] प्राप्त करनेवाला। स्त्री०=विप्रलब्धा (नायिका)। | 
			
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				| लब्धांक					 : | पुं० [लब्ध-अंक, कर्म० स०] भागफल। (दे०) | 
			
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				| लब्धि					 : | स्त्री० [सं√लभ् (पाना)+क्तिन्] १. लब्ध होने की अवस्था या भाव। प्राप्ति। २. भागफल। लब्धांक। | 
			
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