| शब्द का अर्थ | 
					
				| लम					 : | वि० [हिं० लंबा] लंबा का उपसर्ग की तरह प्रयुक्त वह संक्षिप्त रूप जो यौ० शब्दों के आरम्भ में लगने पर प्राप्त होता है। जैसे—लम-छड़ लम-ढेंक, लम-तडंग। | 
			
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				| लम-गजा					 : | पुं० [हिं० लम+गज] इकतारा नाम का बाजा। | 
			
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				| लम-गिरदा					 : | पुं० [हिं० लम+फा० गिर्द] एक तरह की मोटी रेती जो नारियल की जटा रेतने के काम आती है। | 
			
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				| लम-गोड़ा					 : | वि० [हिं० लम+गोड़=पाँव] जिसकी टांगे लम्बी हों। | 
			
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				| लम-घिचा					 : | वि० [हिं० लम+घींच=गर्दन] [स्त्री० लामघिची] लंबी गर्दनवाला। | 
			
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				| लम-चिंता					 : | पुं० [हिं० लम (लंबा)+चिन्ती] तेदुएँ की तरह का एक प्रकार का पहाडी हिंसक पशु जिसके शरीर पर बड़ी-बड़ी काली चित्तियों के धब्बे होते हैं। | 
			
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				| लम-छड़					 : | पुं० [हिं० लम+छड़] १. बरछा। भाला। २. कबूतर उड़ाने की लग्गी। ३. पुरानी चाल की लंबी बन्दूक। वि० पतला और लंबा। | 
			
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				| लम-टंगा					 : | वि० [हिं० लम+टाँग] [स्त्री० लमटंगी] लंबी टाँगोंवाला। जैसे—लंबटंगी धोबिन। पुं० सारस पक्षी। | 
			
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				| लम-तड़ंग					 : | वि० [हिं० लंबा+ताड़+अंग] [स्त्री० लमतडंगी] बहुत लंबा या ऊँचा और हृष्ट-पुष्ट। जैसे—लमतडंग आदमी। | 
			
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				| लमई					 : | स्त्री० [देश] एक तरह की मधुमक्खी। | 
			
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				| लमक					 : | पुं० [सं√रम् (क्रीड़ा)+क्वुन्, अक-र-ल] १. जार। उपपति। २. लंपट। व्यभिचारी। स्त्री० [हिं० लमकना] लमकने की क्रिया या भाव। | 
			
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				| लमकना					 : | अ० [हिं० लंबा] लंबाई के बल नीचे की ओर लटकना। (पश्चिम) अ०=लपकना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| लमचा					 : | पुं० [देश] एक प्रकार की बरसाती घास। | 
			
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				| लमछुअ					 : | वि० [हिं० लम] [स्त्री० लमछुई] साधारण से कुछ अधिक लम्बा। जैसे—गोरी रंगत, बड़ी-बड़ी आँखें लमछुई नाक। (लखनऊ) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| लमजक					 : | पुं० [सं० लमज्जक] कुश की तरह की एक सुगंधित घास जो औषध के काम आती है। लामज। | 
			
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				| लमज्जुक					 : | पुं० =लमजक। | 
			
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				| लमटींग					 : | वि० [हिं० लम+ढेंक] बहुत अधिक लंबा। पुं० =लम-ढेंक। | 
			
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				| लमःढेंक					 : | पुं० [हिं० लम+ढेंक (पक्षी)] सारस की तरह का पर उससे भी बड़ा एक प्रकार का पक्षी। हर-गीला। | 
			
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				| लमती					 : | स्त्री० [हिं० लम] कुछ दूर का स्थान। (पूरब) | 
			
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				| लमधर					 : | पुं० [हिं० लम+धार] कुदाल के मुँह पर का टेढ़ा भाग। | 
			
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				| लमधी					 : | पुं० [हिं० समधी का अनु०] १. संबंध के विचार से समधी का पिता। २. समधी के विचार से समधी का दूसरा समधी। | 
			
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				| लमहा					 : | पुं० [अ० लमह] निमेष। पल। क्षण। | 
			
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				| लमाना					 : | स० [हिं० लम+आना (प्रत्यय)] १. लंबा करना। २. दूर तक आगे बढ़ाना। अ० बहुत आगे या दूर निकल जाना। | 
			
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