| शब्द का अर्थ | 
					
				| लुप्त					 : | भू० कृ० [सं०√लुप् (छेदन)+क्त] १. जो अन्तर्हित हो गया हो या छिप गया हो। गायब। २. जो न रह गया हो। जिसका लोप हो गया हो। पुं० चोरी का धन या माल। | 
			
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				| लुप्त-मास					 : | पुं० [सं०] हिंदू पांचांग की चांद्र गणना में वह मास जिसका सर्वथा लोप होता है और जिसका नाम ही पंचांग में नही आने पाता। क्षय मास से भिन्न। विशेष—ऐसा मास बहुत कम और बहुत दिनों पर होता है। | 
			
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				| लुप्ताकार					 : | पुं० [सं० लुप्त-आकार, कर्म० स०] संस्कृत वर्णमाला का एक चिन्ह जो आधे अ का सूचक होता है इसका रूप यह है—ऽ। | 
			
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				| लुप्तोपमा					 : | स्त्री० [सं० लुप्त-उपमा, कर्म०स] उपमा अलंकार का वह प्रकार या भेद जिसमें उपमेय, उपमान धर्म और उपमान शब्द में से कोई एक नहीं होता। | 
			
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