| शब्द का अर्थ | 
					
				| लूट					 : | स्त्री० [हिं० लूटना] १. लूटने की क्रिया या भाव। २. किसी को डरा-धमका कर या मार-पीटकर जबरदस्ती उसकी चीजें छीन लेना। पद—लूट-खसोट, लूट-पाट, लूट-मार (दे०) ३. आज-कल किसी की विवशता से लाभ उठाकर अनुचित रूप से अपना आर्थिक लाभ करना। जैसे—यहाँ के दुकानदारों ने तो लूट मचा रखी है। क्रि० प्र०—पड़ना।—मचना।—मचाना। ४. किसी को लूटने से मिलनेवाला धन या संपत्ति। | 
			
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				| लूट-खसोट					 : | स्त्री० [हिं०] बहुत से लोगों का किसी की चीज़ें लूट या छीन लेना। क्रि० प्र०—मचना। | 
			
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				| लूटक					 : | पुं० =लुटेरा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| लूटना					 : | स० [सं० लुट=लूटना] १. बलात् अथवा डरा-धमका कर किसी की धन संपत्ति उससे ले लेना या छीन लेना। जैसे—लुटेरों ने राह चलते मुसाफिरों को लूट लिया। २. किसी के घर, मकान दूकान आदि में अनाधिकार प्रवेश कर उसमें रखा हुआ सामान उठा ले जाना। जैसे—उपद्रवियों का सारा बाजार लूटना। ३. फेंकी लुटाई अथवा किसी के अधिकार या बंधन से निकली हुई वस्तु को हस्तगत करना। जैसे—(क) गुड्डी या पतंग उड़ाना। (ख) पैसे लूटना। ४. अन्याय या धोखे से किसी का धन अपहरण करना। जैसे—नौकर-चाकरों का नवाब साहब को लूटना। ५. उचित से बहुत अधिक मूल्य लेना। अधिक दाम लेकर बेचना। जैसे—आज-कल के दुकानदार ग्राहकों को खूब लूटते हैं। ६. किसी रूप में किसी का सब कुछ या बहुत कुछ मनमाने ढंग से लूट से ले लेना। जैसे—मजा लूटना। ७. किसी को अपने प्रति मोहित या लुब्ध करना, अथवा इस प्रकार अपना बनाना कि वह वशीभूत हो जाय। | 
			
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				| लूटा					 : | पुं० =लुटेरा (उदाहरण—लोभी लौंद़ मुकरवा झगरू बड़ा पढैलो लूटा।—सूर। | 
			
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				| लूटि					 : | स्त्री० =लूट। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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