शब्द का अर्थ
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लेट :
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पुं० [देश०] १. सुरखी, कंकड़, और चने अथवा कंकड़ तथा सीमेंट का वह सम्मिश्रण, जो फर्श बनाने के लिए जमीन पर बिछाया जाता है। क्रि० प्र०—डालना।—पड़ना। वि० [अ०] जो देर से आया हो अथवा जिसने आने में देर लगाई हो। जैसे—आज गाड़ी लेट है। |
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समानार्थी शब्द-
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लेट-पेट :
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स्त्री० [देश०] एक प्रकार की चाय। |
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लेटना :
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अ० [सं० लुंठन, हिं० लोटना] १. विश्राम करने के लिए हाथ-पैर और सारा शरीर लंबाई के बल पसार जमीन या किसी सतह पर टिका कर पड़ रहना। जमीन या बिस्तरे से पीठ लगाकर बदन की सारी लंबाई उस पर ठहराना। पौढ़ना। जैसे—जाकर चारपाई पर लेट रहो, तबीयत ठीक हो जाएगी। संयो० क्रि०—जाना।—रहना। २. खड़े बल में रहनेवाली चीज या बगल की ओर झुककर ज़मीन पर गिरना या जमीन से सटना। जैसे—आँधी में पेड़ों या फसल का लेटना। संयो० क्रि०—जाना। ३. किसी पदार्थ का ठीक दशा में न रहकर बिगड़ जाना या खराब होना। ४. मर जाना। (बाजारू) |
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लेटर :
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पुं० [अं०] १. अक्षर। २. चिट्ठी। |
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लेटर-बक्स :
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पुं० [अं० लेटर-बक्स] १. डाकखाने का वह संदूक जिसमें कहीं भेजने के लिए लोग चिट्ठियाँ डालते हैं। २. प्रायः घरों के दरवाजों पर लगी हुई वह पेटी या संदूक जिसमें डाकिये या और लोग आकर मालिक माकान की चिट्ठियाँ छोड़ या डाल जाते हैं। पत्र-पेटी। |
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लेटाना :
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स० [हिं० लेटना का प्रे०] १. ऐसी क्रिया करना जिससे कोई लेट जाय। २. खड़ी चीज को जमीन पर बेड़े बल में रखना या फैलाना। |
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