शब्द का अर्थ
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अवट :
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पुं० [सं०√अव् (रक्षण आदि)+अटन्] १. छिद्र। छेद। २. गड्ढा। ३. तृण आदि से ढका हुआ एक प्रकार का गड्ढा जो जंगली पशुओं विशेषतः हाथियों को फँसाने के लिए बनाया जाता है। ४. कूँआ। ५. एक नरक का नाम। ६. शरीर का कोई नीचला या कमजोर भाग। ७.जादूगर। बाजीगर। |
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समानार्थी शब्द-
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अवट-कच्छप :
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पुं० [सं० मध्य० स०] १. गड्ढे में छिपा हुआ कच्छप या कछुआ। लाक्षणिक रूप में, ऐसा व्यक्ति जिसे संसार का कोई अनुभव या ज्ञान न हो। |
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अवटना :
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अ० [सं० आवर्त्तन, प्रा० आवट्टन] १. व्यर्थ घूमना या मारे-मारे फिरना। २. आग पर चढ़ाकर औटाया, गलाया या पिघलाया जाना। उदाहरण—कनक सोहग न बीछुरैं, अवटि मिलैं जो एक-जायसी। स० १. आग पर चढ़ाकर गलाना या पकाना। औटाना। उदाहरण—चूना कीन्ह अवटि गज मोती।—जायसी। २. मथना। |
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अवटी :
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स्त्री० [सं० अव्+अटि-ङीष्] १. छिद्र। छेद। २. गड्ढा। ३. कूँआ। |
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अवटीट :
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वि० [सं० अव-नासा, ब० स०, नासा को टीट आदेश] जिसकी नाक चिपटी हो। चिपटी नाकवाला। |
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अवटु :
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वि० [सं० न० त०] १. जो वटु (बालक) न हो। २. जो ब्राह्मण न हो। पुं० [सं० अव√टीक्(गति)+डु] १. गड्ढा। २. कूँआ। ३. माँद। ४. गरदन का पिछला भाग। |
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अवटुका-ग्रंथि :
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स्त्री० [सं० अवटुका, अवटु+कन्-टाप्,अवटुका-ग्रंथि ष० त०] शरीर के अंदर श्वास नली और स्वर यंत्र के पास की कुछ विशिष्ट ग्रंथियाँ या उनका समूह। (थॉइराँयड ग्लैड) |
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