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शब्द का अर्थ
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उपहार :
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पुं० [सं० उप√हृ (हरण करना)+घञ्] १. प्रसन्न होकर सद्भावपूर्वक किसी मित्र, संबंधी आदि को कोई वस्तु देना। २. किसी विशिष्ट अवसर पर किसी को (स्मृति चिन्ह के रूप में) दी जानेवाली कोई वस्तु। भेंट। (गिफ्ट) जैसे—कन्या के विवाह में उपहार देना। ३. शैवों के उपासना के छः नियम (हसित, गीत, नृत्य डुडुक्कार, नमस्कार और जप) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपहार :
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पुं० [सं० उप√हृ (हरण करना)+घञ्] १. प्रसन्न होकर सद्भावपूर्वक किसी मित्र, संबंधी आदि को कोई वस्तु देना। २. किसी विशिष्ट अवसर पर किसी को (स्मृति चिन्ह के रूप में) दी जानेवाली कोई वस्तु। भेंट। (गिफ्ट) जैसे—कन्या के विवाह में उपहार देना। ३. शैवों के उपासना के छः नियम (हसित, गीत, नृत्य डुडुक्कार, नमस्कार और जप) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपहार-संधि :
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स्त्री० [मध्य० स०] किसी विरोधी या शत्रु को कुछ उपहार देकर उसके साथ की जानेवाली संधि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपहार-संधि :
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स्त्री० [मध्य० स०] किसी विरोधी या शत्रु को कुछ उपहार देकर उसके साथ की जानेवाली संधि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपहारी (रिन्) :
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वि० [सं० उपहार+इनि] उपहार देनेवाला। भेंट करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपहारी (रिन्) :
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वि० [सं० उपहार+इनि] उपहार देनेवाला। भेंट करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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