शब्द का अर्थ
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					उपहास					 :
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					पुं० [सं० उप√हस्+घञ्] १. हँसी। दिल्लगी। २. यों ही हँसते हुए किसी की खिल्ली या दिल्लगी उड़ाना। हँसते-हँसते किसी को तुच्छ या हीन ठहराना।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					उपहास					 :
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					पुं० [सं० उप√हस्+घञ्] १. हँसी। दिल्लगी। २. यों ही हँसते हुए किसी की खिल्ली या दिल्लगी उड़ाना। हँसते-हँसते किसी को तुच्छ या हीन ठहराना।				 | 
			
			
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					उपहासक					 :
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					वि० पुं० [सं० उप√हस्+ण्वुल्-अक] दूसरों का उपहास करने वाला।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					उपहासक					 :
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					वि० पुं० [सं० उप√हस्+ण्वुल्-अक] दूसरों का उपहास करने वाला।				 | 
			
			
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					उपहासास्पद					 :
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					वि० [सं० उपहास-आस्पद, ष० त०] जो उपहास किये जाने के योग्य हो। जिसका उपहास किया जा सके।				 | 
			
			
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					उपहासास्पद					 :
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					वि० [सं० उपहास-आस्पद, ष० त०] जो उपहास किये जाने के योग्य हो। जिसका उपहास किया जा सके।				 | 
			
			
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					उपहासी (सिन्)					 :
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					वि० [सं० उप√हस्+णिनि] उपहास करनेवाला। स्त्री०=उपहास।				 | 
			
			
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					उपहासी (सिन्)					 :
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					वि० [सं० उप√हस्+णिनि] उपहास करनेवाला। स्त्री०=उपहास।				 | 
			
			
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					उपहास्य					 :
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					वि० [सं० उप√हस्+ण्यत्] १. जिसका उपहास हो सकता हो या किया जा सकता हो। २. (इतना तुच्छ) जिसे देखकर हँसी आती हो।				 | 
			
			
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					उपहास्य					 :
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					वि० [सं० उप√हस्+ण्यत्] १. जिसका उपहास हो सकता हो या किया जा सकता हो। २. (इतना तुच्छ) जिसे देखकर हँसी आती हो।				 | 
			
			
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