शब्द का अर्थ
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ऊख :
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पुं० [सं० इक्षु, प्रा० इच्छु, गु० ऊस, बं० आकु, उ० आखु, सिंह० उक, ईक, मरा० ऊँस] घास या सरकंडे की जाति का एक प्रसिद्ध पौधा जिसके कांड के रस से गुड़ और चीनी बनाई जाती है। वि० [सं० उष्ण या उष्म] तपा हुआ। गरम। उदाहरण— उष्ण काल अरू देह खिन मगपंथी तन ऊख-तुलसी। पुं० ग्रीष्म ऋतु। गरमी के दिन। स्त्री० उषा या उषःकाल। उदाहरण— ऊख समै वर दुजनि कह वंटिअप्प कर दिन्न।—चंदवरदाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ऊख :
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पुं० [सं० इक्षु, प्रा० इच्छु, गु० ऊस, बं० आकु, उ० आखु, सिंह० उक, ईक, मरा० ऊँस] घास या सरकंडे की जाति का एक प्रसिद्ध पौधा जिसके कांड के रस से गुड़ और चीनी बनाई जाती है। वि० [सं० उष्ण या उष्म] तपा हुआ। गरम। उदाहरण— उष्ण काल अरू देह खिन मगपंथी तन ऊख-तुलसी। पुं० ग्रीष्म ऋतु। गरमी के दिन। स्त्री० उषा या उषःकाल। उदाहरण— ऊख समै वर दुजनि कह वंटिअप्प कर दिन्न।—चंदवरदाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ऊखड़ :
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पुं० [सं० ऊषट] पहाड़ के नीचे की सूखी जमीन। भाभर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ऊखड़ :
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पुं० [सं० ऊषट] पहाड़ के नीचे की सूखी जमीन। भाभर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ऊखम :
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पुं०=उष्म।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ऊखम :
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पुं०=उष्म।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ऊखल :
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पुं० [सं० उलूखल] धान आदि कूटने के लिए बनाया हुआ काठ या पत्थर का गहरा पात्र। ओखली। मुहावरा—ऊखल में सिर देना=जान-बूझकर किसी जोखिमों या झंझट के काम में पड़ना। पुं० [सं० ऊष्म] गरमी। पं० [सं० उखवेल] एक प्रकार का तृण।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ऊखल :
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पुं० [सं० उलूखल] धान आदि कूटने के लिए बनाया हुआ काठ या पत्थर का गहरा पात्र। ओखली। मुहावरा—ऊखल में सिर देना=जान-बूझकर किसी जोखिमों या झंझट के काम में पड़ना। पुं० [सं० ऊष्म] गरमी। पं० [सं० उखवेल] एक प्रकार का तृण।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ऊखा :
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स्त्री० [सं० ऊष्मा] १. आग। २. गरमी। ताप। उदाहरण—और दिनन ते आजु दहो हम ऊखा ल्याई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ऊखा :
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स्त्री० [सं० ऊष्मा] १. आग। २. गरमी। ताप। उदाहरण—और दिनन ते आजु दहो हम ऊखा ल्याई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ऊखाणा :
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पुं० [सं० उपाख्यान] कहावत। (राज०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ऊखाणा :
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पुं० [सं० उपाख्यान] कहावत। (राज०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ऊखिल :
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वि० [सं० उखर्वल] १. तिनका। तृण। २. खटकनेवाली चीज। काँटा। उदाहरण— ऊखिल ज्यौं खरकै पुतरीन मैं।—घनआनंद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ऊखिल :
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वि० [सं० उखर्वल] १. तिनका। तृण। २. खटकनेवाली चीज। काँटा। उदाहरण— ऊखिल ज्यौं खरकै पुतरीन मैं।—घनआनंद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |