शब्द का अर्थ
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चेर :
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पुं० =चेरा। (चेला)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
चेरना :
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पुं० [हिं० चीरना ?] नक्काशों की एक प्रकार की छेनी जिससे वे काठ, धातु, पत्थर आदि पर सीधी रेखा खींचते हैं। |
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चेरा :
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पुं० [सं० चेटक, प्रा० चेड़ा] [स्त्री० चेरी, भाव० चेराई] १. चेला। शिष्य। २. नौकर। सेवक। ३. गुलाम। दास। पुं० [?] एक प्रकार का गलीचा जो मोटे ऊन का बुना होता है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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चेराई :
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स्त्री० [हिं० चेरा+ई (प्रत्य)] चेरा (अर्थात् चेला अथवा दास) होने की अवस्था या भाव। |
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चेरायता :
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पुं०=चिरायता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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चेरि :
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स्त्री०=चेरी। |
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चेरी :
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स्त्री० [सं० चेटी] हिं० चेरा (चेला, दास या सेवक) का स्त्री। |
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चेरु :
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वि० [सं० चि (चयन)+रु बा०] १. जिसे संग्रह करने का अभ्यास हो। २. संग्रह करनेवाला। |
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चेरुआ :
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पुं० [देश०] एक प्रकार का खाद्य पदार्थ जो सत्तू सानकर और पानी में उबालकर बनाया जाता है। |
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चेरुई :
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स्त्री० [देश०] घड़े के आकार का एक प्रकार का मिट्टी का बड़ा बरतन। |
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चेरू :
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स्त्री० [?] १. एक प्रकार की जंगली जाति जो मिरजापुर जिले तथा दक्षिण भारत में पाई जाती है। २. उत्तरी भारत के पर्वतों में रहनेवाला एक प्रकार का हिरन। |
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