शब्द का अर्थ
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जंतु :
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पुं० [सं०√जन् (प्रादुर्भाव)+तुन्] १. वह जिसने जन्म लिया हो। २. शारीरिक दृष्टि से साधारण या छोटे आकार-प्रकार के पशु, कीड़े-मकोड़े आदि। जैसे–चूहा, मछली सांप आदि। |
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समानार्थी शब्द-
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जंतु-नाशक :
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पुं० [ष० त०] हींग। वि० जंतुओं या कीड़ों का नाशक। |
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जंतु-फल :
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पुं० [ब० स०] गूलर। |
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जंतु-विज्ञान :
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पुं०=जीव-विज्ञान। |
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जंतु-शाला :
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स्त्री० [ष० त०] वह स्थान जहां पर अनेक प्रकार के पशु-पक्षी और जीव-जंतु प्रदर्शन के लिए रखे गये हों। चिड़ियाघर। |
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जंतुका :
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स्त्री० [सं० जंतु√ क (प्रकाश करना)+क-टाप्] लाख। लाक्षा। |
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जंतुघ्न :
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वि० [सं० जंतु√हन् (मारना)+टक्] (औषध या पदार्थ) जंतुओं को नष्ट करनेवाला। पुं० १. बायबिडंग। २. हींग। |
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जंतुघ्नी :
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स्त्री० [सं० जंतुघ्न+ङीष्] बायबिंडग। |
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जंतुमारी(रिन्) :
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पुं० [सं० जंतु√मृ (मरना)+णिंव+णिनि] जँबीरी। नीबू। वि०=जंतुघ्न। |
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जंतुला :
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स्त्री० [सं० जंतु√ ला(लेना)+क-टाप्] काँस नामक घास। |
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जंतुहन :
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वि०=जंतुघ्न। |
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