शब्द का अर्थ
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जक :
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स्त्री० [अ० ज़क] १. पराजय। हार। २. हानि। स्त्री० [हिं० झक] १. जिद। हठ। मुहावरा–जक पकड़ना=जिद करना। हठ करना। उदाहरण–अधम समूह उधारन कारन तुम जिय जक पकरी।–सूर। २. धुन। रट। स्त्री० [?] १. आराम। सुख। २. मन की स्थिरता। शान्ति। चैन। उदाहरण–जक न परति चकरी भई फिरि आवत फिरि जाति।-बिहारी। पुं० [सं० यक्ष] १. यज्ञ। २. कंजूस आदमी। |
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समानार्थी शब्द-
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जकड़ :
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स्त्री० [हिं० जकड़ना] १. जकड़ने की क्रिया ढंग या भाव। २. जकड़े अर्थात् चारों ओर से दृढ़ बंधन में होने की अवस्था या स्थिति। |
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जकड़ना :
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स० [सं० युक्त+करण] १. इस प्रकार किसी चीज को कसकर दबाते हुए बाँधना कि वह हिल-डुल न सके। २. इस प्रकार से नियम, बंधन आदि बनाना या लागू करना कि उनसे बच सकना किसी का संभव न हो। अ० १. जकड़ा जाना। चारों ओर से कसकर बाँधा जाना। २. नियमों बंधनों आदि से इस प्रकार घिरना कि छुटकारा या बचत न हो सकती हो। ३. शीत आदि के कोप से शरीर अथवा शरीर के किसी अंग का इस प्रकार कस, ऐंठ या तन जाना कि वह हिल-डुल न सके। जैसे–गठिया के रोग से घुटने जकड़ना। |
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जकड़बंद :
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वि० [हिं० जकड़+फा० बंद] जिसे अच्छी तरह जकड़कर बाँध लिया गया हो। किसी की जकड़ में आया हुआ। |
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जकंद :
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स्त्री० [फा० जकंद] उछाल। छलांग। |
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जकंदना :
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अ० [हिं० जकंद] १. उछाल भरना। छलांग लगाना। २. टूट पड़ना। |
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जकंदनि :
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स्त्री० [हिं० जकद] १. उछलने-कूदने की क्रिया या भाव। २. दौड़-धूप। ३. उलझन। |
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जकना :
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अ० [हिं० जक] [वि० जकित] १. भौंचक्का होना। चकित या स्तंभित होना। उदाहरण–दीन से रहैं संत जन सों, रूप में नैना जके।–अलबेली अली। २. व्यर्थ बोलना। बकना। ३. रटना। |
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जकरना :
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स० अ०=जकड़ना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जकाजक :
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पुं० [अनु०] जोरों की लड़ाई। घोर युद्ध।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) क्रि० वि० खूब जोरों से। वेग-पूर्वक। |
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जकात :
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स्त्री० [अ० जकात] १. इस्लाम में विहित आय का वह चालीसवाँ भाग जो दान-धर्म में देना आवश्यक कहा गया है। २. दान खैरात। ३. कर। महसूल। |
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जकाती :
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वि० [अ० जकात] कर या महसूल उगानेवाला। जगाती। |
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जकित :
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वि=चकित।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जकी :
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वि० [हिं० जक] १. जिद्दी। हठी। २. चकित। स्तंभित। उदाहरण–चको जकी सी ह्रै रही बूझे बोलति नीठि।–बीसलदेव। |
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जकुट :
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पुं० [सं० ज√ कुट् (कौटिल्ल)+क] १. मलयाचल। २. कुत्ता। ३. बैंगन के पौधे में लगनेवाला फूल। |
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जक्की :
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स्त्री० [देश०] बुलबुलों की एक जाति। वि० दे० ‘झक्की’। |
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जक्त :
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पुं०=जगत्।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जक्ष :
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पुं० =यक्ष। |
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जक्षण :
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पुं० [सं०√जक्ष् (भक्षणकरना)+ल्युट-अन] १. भक्षण। २. भोजन। खाना। |
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जक्ष्म :
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पुं=यक्ष्म। |
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जक्ष्मा :
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पुं=यक्ष्मा (तपेदिक)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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