शब्द का अर्थ
|
जाग :
|
पुं० [सं० यज्ञ] यज्ञ। स्त्री० [हिं० जगह] १. जगह। स्थान। २. गृह। घर। स्त्री० [हिं० जागना] जागने अथवा जागेत रहने की अवस्था, क्रिया या भाव। पुं०=जामन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [देश०] बिलकुल काले रंग का कबूतर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागत :
|
पुं० [सं० जंगती+अण्] जगती छंद। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागता :
|
वि० [हिं० जागना] [स्त्री० जागती] १. जागा हुआ। २. जो जाग रहा हो। २. सतर्क। सावधान। ४. जो अपने अस्तित्व, शक्ति आदि का पूरा और स्पष्ट परिचय या प्रमाण दे रहा हो। जैसे–जागती कला, जागता जादू। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागता :
|
स्त्री०=योग्यता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागतिक :
|
वि० [सं० जगत्+ठञ्-इक] १. जंगत संबंधी। जगत का। २. जगत् या संसार में रहने या होनेवाला। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागती कला :
|
स्त्री० [हिं० जागती+सं० कला] देवी-देवता आदि का ऐसा प्रभाव जो स्पष्ट दिखाई देता हुआ माना जाता हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागती जोत :
|
स्त्री० [हिं० जागता+सं० ज्योति] १. कोई देवीय चमत्कार। २. दीपक। दीया। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागना :
|
अ० [सं० जागरण] १. सोकर उठना। नींद खुलने पर चेतन होना। २. जागता हुआ होना। निद्रारहित होना। ३. सजग या सावधान होना। ४. प्रत्यक्ष और स्पष्ट रूप से अपने अस्तित्व, प्रभाव आदि का प्रमाण दे सकने की अवस्था में होना। ५. देवी-देवताओं का अपना प्रभाव दिखलाना। ६. उत्तेजित होना। ७. विख्यात होना। ८. (आग का) अच्छी तरह जलना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागनौल :
|
स्त्री० [देश०] प्राचीन काल का एक अस्त्र। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागबलिक :
|
पुं०=याज्ञवल्क्य।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागयाँ :
|
स्त्री० [सं०√जागृ+यक्-टाप्] जागरण। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागर :
|
पुं० [सं०√जाग् (जागना)+घञ्] १. जागरण। जागने की क्रिया। २. वह स्थिति जिसमें अंतःकरण की सब वृत्तियाँ जाग्रत अवस्था में होती हैं। ३. कवच। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागरक :
|
वि० [सं०√जागृ+ण्वुल्-अक] १. जागता हुआ। २. जागनेवाला। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागरण :
|
पुं० [सं०√जागृ+ल्युट-अन] [वि० जागरित] १. जागते रहने की अवस्था या भाव। २. किसी उत्सव, पर्व आदि की रात को जागते रहने का बाव। ३. लाक्षणिक अर्थ में, वह अवस्था जिसमें किसी जाति, देश, समाज आदि को अपनी वास्तविक परिस्थितियों और कारणों का ज्ञान हो जाता है और वह अपनी उन्नति तथा रक्षा करने के लिए सचेष्ट हो जाता है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागरन :
|
पुं०=जागरण। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागरा :
|
स्त्री० [सं०√जागृ+अच्-टाप्] जागरण। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागरित :
|
वि० [सं०√जागृ+क्त] १. जाग्रत या जागता हुआ। २. (वह अवस्था) जिसमे मनुष्य को इंद्रियों द्वारा सब प्रकार के व्यवहारों और कार्यों का अनुभव और ज्ञान होता हों। (सांख्य)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागरू :
|
पुं० [देश०] १. दाँयी हुई फसल का वह अंश जिसमें भूसा और कुछ अन्न कण मिलें हों। २. भूसा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागरूक :
|
वि० [सं०√जागृ+ऊक] १. (व्यक्ति) जो जाग्रत अव्सथा में हो। २ (वह) जो अच्छी तरह सावधान होकर सब ओर निगाह या ध्यान रखता हो। (विजिलेन्ट)। पुं० -पहरेदार। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागरूप :
|
वि० [हिं० जागना+सं० रूप] जिसका रूप बहुत ही प्रत्यक्ष और स्पष्ट हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागर्ति :
|
स्त्री० [सं०√जागृ+क्तिन्] १. जाग्रत होने की अवस्था या भाव। २. जागरण। ३. चेतनता। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागी :
|
पुं० [सं० यज्ञ] भाट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागीर :
|
स्त्री० [फा०] वह भूमि जो मध्ययुग में राजाओं, बादशाहों आदि की ओर से बड़े-बड़े लोगों को विशिष्ट सेवाओं के उपलक्ष्य में सदा के लिए दी जाती थी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागीरदार :
|
पुं० [फा] वह जिसे जागीर मिली हो। जागीर का मालिक। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागीरी :
|
स्त्री० [फा० जागीर+ई (प्रत्यय)] १. जागीरदार होने की अवस्था या भाव। २. रईसी। वि० जागीर संबंधी। जैसे–जागीर आमदनी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागुड़ :
|
पुं० [सं० जगुड़+अण्] १. केसर। २. एक प्राचीन देश। ३. उक्त देश का निवासी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागृति :
|
स्त्री० [सं०√जागृ+क्तिन्]=जाग्रति। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जागृवि :
|
पुं० [सं०√जागृ+क्विन्] १. राजा। २. आग। वि=जाग्रत। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जाग्रति :
|
स्त्री० [सं० जाग्रति] १. जाग्रत होने की अवस्था या भाव। २. जागते रहने की क्रिया। जागरण। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जाग्रत् :
|
वि० [सं०√जागृ+शतृ] १. जागता हुआ। २. सचेत। सावधान। ३. जो अपने दूषित वातावरण को बदलने और अपनी उन्नति तथा रक्षा के लिए तत्पर हो चुका हो। ४. प्रकाशमान। पुं० दर्शनशास्त्र में, जीव या मनुष्य की वह अवस्था जिसमें उस सब बातों का परिज्ञान होता हो और वह अपनी इंद्रियों के सब विषयों का बोग कर सकता हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |