शब्द का अर्थ
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झार :
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वि० [सं० सर्व, प्रा० सारो, हि० सारा] १. आदि से अन्त तक का सब। कुल। पूरा। समस्त। सारा। २. जिसमें कुछ भी मिलावट न हो। खालिस। पुं० १. झुंड। दल। २. समूह। अव्य० १. केवल। निपट। निरा। २. एक दम से। एक सिरे से। स्त्री० [हिं० झाल] १. स्वाद में चरपरे या तीखे होने की अवस्था या भाव। झाल। २. आग की लपट। ज्वाला। ३. जलन। ताप। ४. ईर्ष्या के कारण होनेवाला मनस्ताप। डाह। पुं० [हिं० झरना] रसोई का झरना या पौना नामक उपकरण। पुं० [?] एक प्रकार का पेड़। |
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समानार्थी शब्द-
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झारखंड :
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पुं० [हिं० झार० सं०+खंड] १. उजाड़ जगह। २. जंगल। ३. बिहार राज्य के एक छोटे भू-भाग का नाम। ४. एक पर्वत जो वैद्यनाथ धाम से जगन्नाथ पुरी तक विस्तृत है। |
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झारन :
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स्त्री०=झाड़न। |
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झारना :
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स०=झाड़ना। |
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झारा :
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पुं० [हिं० झार] बहुत पतली धुली हुई भाँग। पुं० [हिं० झारना] १. अनाज फटकने का सूप। २. अनाज छानने का झरना। ३. पटा, बनेठी, लाठी आदि चलाने की कला या विद्या। पुं० =झाड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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झारि :
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स्त्री०=झार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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झारी :
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स्त्री० [हिं० झारना] १. लंबी गरदनवाली एक प्रकार की टोंटीदार लुटिया जिससे जल बँधी हुई धार के रूप में निकलता है। २. पानी में अमचूर, जीरा, नमक आदि मिलाकर बनाया जानेवाला एक प्रकार का स्वादिष्ट पेय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=झाड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० [हिं० झार] समष्टि। समूह। उदाहरण–गई जहाँ सुर नर मुनि झारी।–तुलसी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) क्रि० वि० एक दम से। एक सिरे से।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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झारू :
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पुं=झाड़। |
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झार्झर :
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पुं० [सं० झर्झर+अण्] हुडुक या ढोल बजानेवाला व्यक्ति। |
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