शब्द का अर्थ
|
ठुक :
|
स्त्री० [हिं० ठुकना] १. ठुकने की अवस्था, क्रिया या भाव। ठोक। २. रुपये-पैसे का व्यर्थ में होनेवाला व्यय। जैसे–उन्हें दस रुपये की ठुक लग गई। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ठुकना :
|
अ० [हिं० ठोकना का अ०] १. ठोका जाना० २. आघात या प्रहार करना। ३. आर्थिक हानि या व्यर्थ व्यय होना। जैसे–व्यर्थ सौ रुपये ठुके। ४. जबरदस्ती आगे बढ़ना। मुहावरा–ठुक-ठुक कर लड़ना=जबरदस्ती लड़ना। उदाहरण–दिन-दिन दैन उरहनौ आवै ठुकि-ठुकि करत लरैया ।-सूर। ५. परास्त होना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ठुकराना :
|
स० [हिं० ठोकर] १. पैर, विशेषतः पैर के पंजे से ठोकर लगाना। २. (व्यक्ति आदि को) उपेक्षा या तिरस्कारपूर्वक दूर करना या हटाना। ३. (प्रस्ताव सुझाव आदि) अवज्ञा या उपेक्षापूर्वक न मानना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ठुकवाना :
|
स० [हिं० ठोकना का प्रे० रूप] १. ठोकने का काम दूसरे से कराना। २. मार खिलवाना। पिटवाना। ३. स्त्री का पर-पुरुष से संभोग कराना (बाजारू)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |