शब्द का अर्थ
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डौल :
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पुं० [हिं० डील का अनु०] १. किसी वस्तु या व्यक्ति की वह बाहरी आकृति या स्वरूप जो उसकी विशिष्ट प्रकार की रचना-शैली, अंगों और उपांगों के संघटन आदि के आधार पर जानी जाती या स्थिर होती है। बनावट का ढंग या रचना का प्रकार। जैसे–(क) आदमी या औरत का डील-डौल। (ख) नये डौल की थाली या लोटा। २. किसी प्रकार की बनावट या रचना का आरंभिक ढाँचा या रूप। ठाठ। क्रि० प्र०–डालना। ३. चित्रों और मूर्तियों के अवयवों में दिखाई पड़नेवाली गोलाई, उभार और गहराई जिससे उनमें सुन्दरता आती हो। मुहावरा–(कोई चीज) डौल पर लाना=सुंदर आकार या रूप में प्रस्तुत करना। अच्छे या सुंदर रूप में लाना। ४. कोई काम करने का अच्छा ढंग या प्रकार। सलीका। जैसे–ये सब पुस्तकें डौल से लगाकर अलमारी में रख दो। ५. उपाय। युक्ति। मुहावरा–(किसी व्यक्ति को) डौल पर लाना=युक्ति से अनुकूल बनाना। ऐसा उपाय करना जिससे कोई मतलब निकाला या उद्देश्य सिद्ध किया जा सके। जैसे–मैं तो समझा कर हार गया, अब तुम्हीं उन्हें डौल पर ला सकते हो। पद–डौल-डाल (देखें)। मुहावरा–(किसी काम का) डौल बाँधना या लगाना=उपाय या युक्ति करना। जैसे–कहीं से कुछ कपड़ों का डौल लगाओ। ६. रंग-ढंग। तौर-तरीका। लक्षण। ७. आशा या संभावना। रंग-ढंग। जैसे–अभी तो दो चार दिन वर्षा का डौल नहीं दिखाई देता। ८. जमीन के बन्दोबस्त में जमा या लगान का अनुमान। क्रि० प्र०–लगाना। ९. खेतों की मेंड़। हाँड़। |
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समानार्थी शब्द-
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डौल-डाल :
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पुं० [हिं० डौल] किसी काम का उपाय या युक्ति। ब्योंत। |
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डौलदार :
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वि० [हिं०डौल+फा०दार(प्रत्यय)] अच्छे डौलवाला। सुडौल। |
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डौलना :
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स० [हिं० डौलना] १. किसी रचना को सुडौल बनाना। २. डौल या बनावट का ढंग निकालना। अ० डौल या उपाय निकालना। युक्ति निकालना। |
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डौलियाना :
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स० [हिं० डौल+इयाना (प्रत्यय)] १. काट-छाँटकर किसी ठीक आकार का बनाना। गढ़कर डौल या रूप दुरुस्त करना। २. अपना प्रयोजन सिद्ध करने के लिए किसी व्यक्ति को डौल या ढंग पर लाना मीठी-मीठी बातें करके अपने अनुकूल बनाना। |
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