शब्द का अर्थ
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तड़ि :
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स्त्री० [सं०√+इन्] १. आघात। २. वह चीज जिससे आघात किया जाय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तड़िता :
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स्त्री०=तडित। स्त्री०=तड़ित् (बिजली)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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तड़ित्गर्भ :
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पं० [सं० ब० स०] बादल। मेघ। |
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तड़ित्पति :
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पुं० [सं० ष० त०] बादल। मेघ। |
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तड़ित्प्रभा :
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स्त्री० [सं० ब० स०] कार्तिकेय की एक मातृका। |
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तड़ित्वान् (त्वन्) :
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पुं० [सं० तडित्+मतुप्] १. नागरमोथा। २. बादल। मेघ। |
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तड़िन्मय :
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वि० [सं० तडित्+मयट्] जो बिजली के समान कौंधता हो। |
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तड़िपाना :
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अ०=तड़पना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स०=तड़पाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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तड़िल्लता :
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स्त्री० [सं० तडित्-लता, ष० त०] बिजली के वह रेखा जो लता के समान टेढ़ी तिरछी हो तथा जिसमें बहुत सी रेखाएँ हों। विद्युल्लता। |
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