शब्द का अर्थ
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तरण :
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पुं० [सं०√तृ (पार करना)+ल्युट्-अन] १. नदी आदि पार करना। पार जाना। २. जलाशय आदि पार करने का साधन। जैसे–नाव, बेड़ा आदि। ३. छुटकारा। निस्तार। ४. उबारने की क्रिया या भाव। उद्धार। ५. स्वर्ग। |
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समानार्थी शब्द-
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तरणि :
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पुं० [सं०√तृ+अग्नि] १. सूर्य। २. सूर्य की किरण। ३. आक। मदार। ४. ताँबा। स्त्री० =तरणी। |
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तरणि-कुमार :
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पुं० [ष० त०] तरणिसुत। (दे०)। |
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तरणि-तनय :
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पुं० [ष० त०] तरणिसुत। (दे०)। |
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तरणि-तनूजा :
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स्त्री० [ष० त०] सूर्य की पुत्री। यमुना। |
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तरणि-सुता :
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स्त्री० [ष० त०] सूर्य की पुत्री। यमुना। |
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तरणिजा :
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स्त्री० [सं० तरणि√जन्+ड-टाप्] १. सूर्य की कन्या। यमुना। २. एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरम में क्रमशः एक नगण और एक गुरु होता है। |
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तरणिसुत :
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पुं० [ष० त०] १. सूर्य का पुत्र। २. यमराज। ३. शनि। ४. कर्ण। |
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तरणी :
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स्त्री० [सं० तरण+ङीष्] १. नाव। नौका। २. घीकुँआर। ३. स्थल-कमलिनी। |
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