शब्द का अर्थ
|
ताग :
|
पुं०=तागा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ताग-पहनी :
|
स्त्री० [हिं० ताग+पहनावा] करघे में की एक लकड़ी जिससे बय में तागा पहनाया जाता है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ताग-पाट :
|
पुं० [हिं० तागा+पाट=रेशम] एक प्रकार का गहना जो रेशम के तागे में सोने चाँदी के टिकड़े आदि पिरोकर बनाया जाता है और जो विवाह के समय पहना जाता है। क्रि० प्र०–डालना। विशेष–यह गहना प्रायः वधू का जेठ उसे देता या पहनाता है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तागड़ :
|
स्त्री० [देश०] रस्मों आदि की बनी हुई सीढ़ी जिसके सहारे बड़े-बड़े जहाजों से समुद्र में उतरा तथा चढ़ा जाता है। (लश०)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तागड़ी :
|
स्त्री० [हिं० तागा+कड़ी] १. कमर में बाँधने की डोरी करधनी। २. एक तरह की करधनी जिसमें सोने चाँदी आदि के घुँघरू लगे रहते हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तागना :
|
स० [?] १. तागे से सीना या बखिया करना। पिरोना। २. रूईदार कपड़ों को बीच-बीच में इसलिए मोटे डोरे से लंबाई के बल सीना कि रूई इधर-उधर खिसकने न पावे। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तागा :
|
पुं० [सं० तार्कव, प्रा० ताग्गी] १. वह पतला ततु जो ऊन, रूई, रेशम आदि को तकले आदि कातने से तैयार होता है। सूत। २. इस प्रकार काते हुए तंतुओं या सूतों को बटकर तैयार किया हुआ वह रूप जिससे कपड़े सीये या मालाएँ आदि गूँथी जाती है। मुहावरा–कपड़े में तागा डालना=(क) सीये जानेवाले कपड़े में दूर-दूर पर कच्ची सिलाई करना। (ख) दे० तागना। ३. जनेऊ। यज्ञोपवीत। ४. वह कर जो मध्ययुग में घर के प्रति व्यक्ति के हिसाब से लिया जाता था। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |