शब्द का अर्थ
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तुला :
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स्त्री० [सं०√तुल् (तोलना)+अङ्-टाप्] १. सादृश्य का मिलान। तुलना। २.चीजों का भार तौलने का तराजू। काँटा। पद–तुला दंड–। ३. भार का मान। तौल। ४. अनाज नापने का बरतन। भाँड। ५. प्राचीन काल की एक तौल जो १॰॰ पल या लगभग ५ सेर की होती थी। ६. ज्योतिष की बारह राशियों में से सातवीं राशि जिसके तारों की आकृति बहुत कुछ तराजू की तरह होती है। ७. प्राचीन वास्तु कला में, खंभे का एक विशिष्ट अंश या विभाग। ८. दे० ‘तुला परीक्षा’। |
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तुला-कूट :
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पुं० [ष० त०] १. इस प्रकार कोई चीज तौलना कि वह तुला पर अपने उचित तौल के क्रम चढ़े। तौलने में धोखेबाजी या बेईमानी करना। २. इस तरह तौलने में होनेवाली कमी या कसर। वि० [सं० तुला√कूट् (निन्दा करना)+घञ्] तौल में कमी या कसर करनेवाला। डाँडी मारनेवाला। |
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तुला-कोटि :
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स्त्री० [ष० त०] १. तराजू की डंडी के दोनों छोर जिनमें पलड़े की रस्सी बँधी रहती है। २. प्राचीन काल की एक प्रकार की तौल या मान। ३. गणित में अर्बुद की संख्या। ४. घुँघरू। नुपुर। |
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तुला-कोश :
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पुं० [ष० त०] तुला-परीक्षा। (दे०)। |
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तुला-दंड :
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पुं० [ष० त०] तराजू की वह डंडी जिसके दोनों सिरों पर पलड़े बँधे रहते हैं। |
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तुला-पत्र :
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पुं० [ष० त०] वह पत्र जिसमें आय-व्यय तथा लाभ-हानि का लेखा लिखा रहता है। तट-पट। (बैलेन्स शीट)। |
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तुला-परीक्षा :
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स्त्री० [तृ० त०] प्राचीन काल में होनेवाली एक तरह की परीक्षा जिससे यह जाना जाता था कि अभियुक्त दोषी है या निर्दोष। |
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तुला-पुरुष-कृच्छ्र :
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पुं० [सं० तुला-पुरुष, मध्य, स, तुला, पुरुष-कृच्छ्र, ष० त०] एक प्रकार का व्रत जिसमें पिण्याक (तिल की खली) भात, मट्ठा, जल और सत्तू में से प्रत्येक क्रमश- तीन-तीन दिन तक खाकर पंद्रह दिनों तक रहना पड़ता है। |
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तुला-पुरुष-दान :
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पुं० [सं० तुला-पुरुष, मध्य० स० तुलापुरुष-दान, ष० त०] तुलादान |
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तुला-बीज :
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पुं० [ष० त०] घुँघची के बीच। |
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तुला-मान :
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पुं० [ष० त०] १. वह मान जो तौलकर निश्चित किया जाय। तौल कर निकाला हुआ भार या वजन। २. तराजू की डाँड़ी। ३. बटखरा। बाट। |
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तुला-यंत्र :
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पुं० [ष० त०] तराजू। |
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तुला-यष्टि :
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स्त्री० [ष० त०] तुला-दंड। |
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तुला-सूत्र :
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पुं० [ष० त०] वह मोटी रस्सी जो तराजू की डंडी के बीच पिरोई रहती है और जिसे पकड़कर तराजू उठाते हैं। |
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तुलाई :
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स्त्री० [सं० तूल=रूई] कुछ छोटी पतली और हलकी रजाई। दुलाई। स्त्री० [हि० तौलना] तौलने की क्रिया, भाव या मजदूरी। स्त्री० [हिं० तुलना या तुलाना] गाड़ी के पहियों को औंगने या धुरी चिकना दिलवाने की क्रिया। |
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तुलादान :
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पुं० [तृ० त०] अपने शरीर के भार के बराबल तौलकर दिया जानेवाला अन्न, वस्त्र आदि का दान। |
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तुलाधार :
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पुं० [सं० तुला√धृ (धारण)+अण्] १. तुलाराशि। २. तराजू की वे रस्सियाँ जिनमें पलड़े बँधे रहते हैं। ३. वणिक्। बनिया। ४. एक प्रसिद्ध व्याध जिसने केवल माता-पिता की सेवा के बल पर मुक्ति पाई थी। वि० तुला धारण करने अर्थात् तराजू से चीजें तौलने का काम करनेवाला। |
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तुलाना :
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अ० [हिं० तुलना-तौल में बराबर आना] १. किसी चीज का तौला जाना। २. तुल्य या समान होना। पुरा पड़ना या होना। ३. नष्ट या समाप्त हो जाना। उदाहरण–नाचहिं राकस आस तुलसी।–जायसी। ४. आ पहुँचना। उदाहरण–काल समय जब आनि तुलानी।–ध्रवदास। स०=तुलवाना। स० [हिं० तुलना] गाड़ी के पहियों में तेल डलवाना। औंगवाना। |
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तुलाभवानी :
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स्त्री० [सं०] शंकर दिग्विजय के अनुसार एक नदी और उसके किनारे बसी हुई नगरी का नाम। |
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तुलावा :
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पुं० [हिं० तुलना] ठेले आदि के अगले भाग में टेक या सहारे के रूप में लगाई जानेवाली वह लंबी लकड़ी जिससे ठेले का अगला भाग कुछ ऊंचा उठा रहता है और पिछला भाग कुछ नीचे झुक जाता है। |
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