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तैजस  : वि० [सं० तेजस्+अण्] १. तेज-सम्बन्धी या तेज से युक्त। २. तेज से उत्पन्न। पुं० १. भारतीय दर्शन में राजस अवस्था में उत्पन्न होनेवाला अहंकार जिससे शरीर की ग्यारहों इन्द्रियों और पंच-तन्मात्रों का विकास होता है। २. कोई ऐसा पदार्थ जो खूब चमकता हो। जैसे–धातुएँ रक्त आदि। ३. परमात्मा जो स्वयं प्रकाश है और जिससे सूर्य आदि को प्रकाश प्राप्त होता है। ४.वैद्यक में वह शारीरिक शक्ति जो भोजन को रस के रूप में तथा रस को धातु के रूप में परिवर्तित करती है। ५. पराक्रम। पौरुष। बल। ६. घी। घृत। ७. महाभारत के समय का एक प्राचीन तीर्थ। ८. बहुत तेज चलनेवाला घोड़ा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
तैजसावर्तनी  : स्त्री० [सं० तैजस-आवर्तिनी, ष० त०] चाँदी सोना आदि गलाने की घरिया।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
तैजसी  : स्त्री० [सं० तैजस्+ङीप्] गजपिप्पली।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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