शब्द का अर्थ
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पंजा :
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पुं० [सं० पंचक से फा० पंजः] १. एक ही तरह की पाँच चीजों का वर्ग या समूह। गाही। जैसे—चार पंजे आम। २. हाथ (या पैर) का वह अगला भाग जिसमें हथेली (या तलवा) और पाँचों उंगलियाँ होती हैं। ३. उंगलियों और हथेली का संपुट जिससे चीजें उठाई, पकड़ी या ली जाती हैं; अथवा जिनसे पशु-पक्षी आदि प्रहार या वार करते हैं। चंगुल। पद—पंजे में=अधिकार या वश में। चंगुल में। जैसे—उनके पंजे में फँसकर निकलना सहज नहीं है। मुहा०—पंजा फैलाना या बढ़ाना=(क) कुछ लेने के लिए हाथ आगे करना। हाथ पसारना या बढ़ाना। (ख) अपने अधिकार या वश में करने के लिए उद्यत या तत्पर होना। हथियाने का प्रयत्न करना। पंजा मारना=(क) झपट कर घात या प्रहार करना। (ख) लेने के लिए झपटकर आगे बढना या लपकना। पंजे झाड़कर (किसी से) चिमटना या (किसी के) पीछे पड़ना=जी-जान से या सारी शवित लगाकर किसी से कुछ लेने, उसे तंग करने या हानि पहुँचाने पर उतारू होना। पंजों के बल चलना=बहुत अधिक अभिमान या मद के कारण इस प्रकार उछलते हुए चलना कि पूरे पैर जमीन पर न पड़ने पायें। ४. जूते का वह अगला भाग जिसमें पैर का पंजा रहता है। जैसे—इस जूते का पंजा कुछ ज्यादा चौड़ा है। ५. एक प्रकार की शारीरिक बल-परीक्षा जिसमें दो व्यक्ति दाहिने हाथ की उँगलियाँ आपस में फँसाकर एक-दूसरे का हाथ उमेठने या मरोड़ने का प्रयत्न करते हैं। क्रि० प्र०—लड़ाना।—लेना। मुहा०—(किसी से) पंजा लड़ाना=सामने आकर बल-परीक्षा करना। उदा०—मृत्यु लड़ाएगी तुमसे पंजा।—दिनकर। ६. कुछ ऐसे यंत्र जिनका अगला भाग या तो हाथ के पंजे के आकार का होता है या बहुत-कुछ काम करता है जो साधारणत |
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पंजा-तोड़ :
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पुं० [हिं०] कुश्ती का एक प्रकार के पेंच, जिसमें विपक्षी से हाथ मिलाकर उसका पंजा पकड़कर उमेठने हुए अपनी कोहनी उसके पेच में लगाकर उसे अपनी पीठ पर ले आते हैं और तब झटके से उसे जमीन पर चित गिरा देते हैं। |
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पंजा-बल :
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पुं० [हिं० पंजा+बल] पालकी ढोनेवाली कहारों की बोली में, यह सूचित करने का पद कि आगे की भूमि ऊँची है। (अगला कहार पिछले कहार को इसी के द्वारा सचेत करता है।) |
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पंजाब :
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पुं० [फा०] १. अविभाजित भारत का उत्तर-पश्चिम का एक प्रसिद्ध प्रदेश जिसमें सतलज, व्यास, रावी, चनाव और झेलम—ये पाँच नदियाँ बहती हैं। २. उक्त प्रदेश का वह अंश, जो पाकिस्तान बनने के बाद अब भी भारत का एक राज्य है। |
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पंजाबी :
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वि० [हिं० पंजाब] १. पंजाबी-संबंधी। पंजाब का। २. पंजाब में बनने, होने या रहनेवाला। ३. गुरुमुखी भाषा-संबंधी। जैसे—पंजाबी सूबा। पुं० १. पंजाब का नागरिक। २. ढीली बाँह का कुरता जिसका प्रचलन पंजाब में हुआ था। स्त्री० पंजाब की भाषा जो गुरुमुखी लिपि में लिखी जाती है। |
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पंजारा :
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पुं०=पिंजारा। (धुनिया)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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