शब्द का अर्थ
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पतंग :
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वि० [सं०√पत् (गिरना)+अंगच्] १. जो गिरता हुआ जाता हो। २. उड़नेवाला। पुं० १. सूर्य। २. मकड़ी। ३. पतिंगा। शलभ। ४. चिड़िया। पक्षी। ५. कंदुक। गेंद। ६. एक गंधर्व का नाम। ७. एक प्राचीन पर्वत। ८. बदन। शरीर। ९. नाव। नौका। १॰. जैनों के एक देवता जो वाणव्यंतर नामक देवगण के अन्तर्गत हैं। ११. चिनगारी। १२. जड़हन धान। १३. जलमछुआ। १४. एक प्रकार का वृक्ष जिसकी लकड़ी रक्त चन्दन की लकड़ी जैसी परन्तु निर्गन्ध होती है। स्त्री० [सं० पतंग=उड़नेवाला] कागज की वह बहुत बड़ी गुड्डी जो डोर की सहायता से हवा में उड़ाई जाती है। कन-कौआ। चंग। तुक्कल। क्रि० प्र०—उड़ाना।—लड़ाना। मुहा०—पतंग काटना=पेंच लड़ाकर किसी की पतंग की डोरी काट देना। पतंग बढ़ाना=डोर ढीलते हुए पतंग और अधिक ऊँचाई या दूरी पर पहुँचाना। पुं० [सं० पत्रंग] एक तरह का बड़ा वृक्ष जिसकी लकड़ी से बढ़िया लाल रंग निकाला जाता है। (सपन)। पुं० [फा०] १. रोशनदान। २. खिड़की। |
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पतंग-छुरी :
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वि० [सं० पतंग=उड़ानेवाला अथवा चिनगारी+हिं० छुरी] पीठ पीछे बुराई करनेवाला। चुगलखोर। |
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पतंगबाज :
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पुं० [हिं० पतंग+फा० बाज] [भाव० पतंगबाजी] वह जिसको पतंग उड़ाने का शौक या व्यसन हो। |
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पतंगबाजी :
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स्त्री० [हिं० पतंगबाज+ई (प्रत्य०)] पंतग उड़ाने की क्रिया, भाव या शौक। |
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पतंगम :
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पुं० [सं० पतद्√गम्+खच्,नि० सिद्धि] १. पक्षी। चिड़िया। २. पतिंगा। शलभ। |
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पतंगा :
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पुं० [सं० पतंग] १. परोंवाला वह कीड़ा जो हवा में उड़ता हो। २. एक तरह का साधारण कीड़ों से बड़ा कीड़ा जो पेड़ों की पत्तियाँ, फसलें आदि खाता तथा नष्ट-भ्रष्ट करता है। ३. दीये का फूल। ४. चिनगारी। |
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पतंगिका :
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स्त्री० [सं० पतंग+कन्—टाप्, इत्व] १. छोटा पक्षी। २. एक तरह की मधुमक्खी। |
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पतंगी (गिन्) :
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पुं० [सं० पतंग+इनि] पक्षी। |
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पतंगेंद्र :
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पुं० [सं० पतंग-इंद्र,ष० त०] पक्षियों के स्वामी,गरुड़। |
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