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बेलना  : सं० [सं० वलन] १. रोटी, पूरी, कचौरी आदि के पेड़े या लोई को चकले पर रखकर बेलने (उपकरण) की सहायता से आगे-पीछे बार-बार चलाते हुए बढ़ाकर बड़ा पतला करना। मुहा०—(की तरह के) पापड़ बेलना=अनेक प्रकार के ऐसे काम करना जिनमें से किसी में भी सफलता न हो। जैसे—वे कई तरह के पापड़ बेल चुके है। २. कपास ओटना। ३. चौपट या नष्ट करना। मुहा०—पापड़ बेलना=काम बिगाड़ना। चौपट करना। जैसे—यह सारा पापड़ आपका ही बेला हुआ है। ४. मनोविज्ञान के लिए जलाशय में एक दूसरे पर पानी के छीटे उड़ाना। पुं० काठ। पीतल आदि का बना हुआ एक प्रकार का लंबा उपकरण जो बीच में मोटा और दोनों ओरकुछ पतला होता है और जो प्रायः रोटी, पूरी कचौरी आदि की लोई को चकले पर रखकर बेलने के काम आता पूरी, कचौरी आदि की लोई को चकले पर रखकर बेलने के काम आता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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