शब्द का अर्थ
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मानना :
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अ० [सं० मानन] १. मन से यह समझ लेना कि जो कुछ कहा या किया गया है, अथवा जो कुछ प्रस्तुत है वह उचित है ठीक समझकर अंगीकृत या गृहीत करना। जैसे—मैं मानता हूँ कि इसमें आपका की दोष नहीं है। २. मन में किसी प्रकार की धारणा या विचार स्थिर करना। जैसे—आप तो जरा सी बात में बुरा मान गये। ३. किसी प्रकार की आज्ञा, आदेश, विधान आदि को ठीक समझकर उसके अनुकूल आचरण या व्यवहार करना। जैसे—वह सीधी तरह से नहीं मानेगा। स० १. किसी बात को अंगीकृत, ग्रहण या स्वीकार करना। जैसे—किसी की बात मानना। २. किसी काम बात या विषय के संबंध में तर्क के निर्वाह के लिए कुछ समय के लिए वस्तु-स्थिति के विपरीत कामना करना। जैसे—मान लीजिए कि उसने आकर आपसे क्षमा माँग ली, तो फिर क्या होगा। ३. किसी को पूज्य या श्रेष्ठ समझकर उसके प्रति मन में आदर, श्रद्धा या विश्वास रखना। जैसे—आर्य-समाजी हो जाने पर भी वे सनातन धर्म की बहुत सी बातें मानते थे। ४. किसी को विशिष्ट रूप से गुणी, योग्य या समर्थ समझना। जैसे—(क) मैं तो उसे बहादुर मानूँगा जो यह काम पूरा कर दिखलाये। (पूरब)। (ख) ऐसे गैरे लोगों को मैं कुछ नही मानता। ५. किसी प्रकार के आचरण, विधान आदि को निर्वाह या पालन के योग्य समझना और उसका अनुसरण करना। जैसे—(क) किसी का अनुरोध या आग्रह मानना। (ख) जन्माष्टमी या शिवरात्रि मानना। ६. मनौती या मन्नत के रूप में प्रतिज्ञा या संकल्प करना। जैसे—(क) काली जी को बकरा मानो तो लड़का जल्दी अच्छा हो जायेगा। (ख) मैंने हनुमान जी को सवा सेर लड्डू माना है, अर्थात् यह संकल्प किया है कि अमुक काम हो जाने पर सवा सेर लड्डू चढ़ाऊँगा। ७. श्रृंगारिक क्षेत्र में, किसी के प्रति यथेष्ट अनुराग या प्रेम रखना। किसी पर आसक्त होना। जैसे—दुश्चरित्रा स्त्रियाँ कभी एक को मानती है तो कही दूसरे को मानने लगती हैं। (बाजारू)। ८. सहन करना। सहना। उदाहरण—उपजत दोष नैन नहिं सूझत, रवि की किरन उलूक न मानत।—सूर। ९. किसी बात या स्थिति को अपने लिए अनुकूल, ठीक या हितकर समझते हुए शांति और सुखपूर्वक रहना। जैसे—कुत्ते या बिल्ली का पोस मानना। उदाहरण—कबहूँ मन विश्राम न मान्यो।—तुलसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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