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मैदान  : पुं० [फा०] १. ऐसा विस्तार क्षेत्र या भूखंड जो प्रायः समतल हो और जिस पर किसी प्रकार की वास्तु-रचना आदि न हो। दूर तक फैली हुई सपाट जमीन। मुहावरा—मैदान करना या छोड़ना=किसी काम के लिए बीच में कुछ जगह खाली छोड़ना। मैदान जाना=शौच आदि के लिए, विशेषतः बस्ती के बाहर उक्त प्रकार के स्थान में जाना। पद—खुले मैदान=सब के सामने। २. पर्वतीय प्रदेश से भिन्न भूभाग जो प्रायः समतल होता है। ३. खेल, तमाशे प्रतियोगिता आदि के लिए बनाया हुआ उक्त प्रकार का क्षेत्र या भूमि। मुहावरा—मैदान बदना=लड़ने-भिड़ने के लिए स्थान नियत करना। मैदान मारना=प्रतियोगिता आदि में विजय प्राप्त करना। मैदान में आना=प्रतियोगिता या प्रतिद्वंद्विता के लिए सामने आना। मुकाबले पर आना। मैदान साफ होना=आगे बढ़ने के लिए मार्ग में कोई बाधा या रुकावट न होना। ४. युद्ध क्षेत्र। रण-भूमि। मुहावरा—मैदान करना=युद्ध-क्षेत्र में पहुँचकर युद्ध करना। मैदान मारना=युद्ध में विजय प्राप्त करना। (किसी के हाथ) मैदान रहना=किसी पक्ष को पूरी विजय प्राप्त होना। ५. किसी प्रकार की लंबाई, चौड़ाई या विस्तार। ऊपरी तल का फैलाव। जैसे—(क) इस तख्ते में इतना मैदान ही नहीं है कि इस पर इतने बेल-बूटे बन सकें। (ख) इस हीरे का ऊपरी मैदान कुछ कम है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
मैदानी  : वि० [फा०] १. (प्रदेश) जो समतल हो विशेषतः जिसमें पहाड़ आदि न हों। २. मैदान या मैदानों में काम आने या होनेवाला अथवा उनसे संबंध रखनेवाला। जैसे—मैदानी तोप। स्त्री० आँगन या मैदान में टाँगी अथवा लटकाई जानेवाली लालटेन। स्त्री० [हिं० मैदा] मैदे का उठाया हुआ खमीर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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