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रेख  : स्त्री० [सं० रेखा] १. रेखा। लकीर। क्रि० प्र०—खींचना।—बनाना। मुहावरा—रेख काढ़ना, खाँचना या खींचना=कोई बात कहने के समय दृढ़ता, प्रतिज्ञा, संकल्प आदि सूचित करने के लिए रेखा अंकित करना। दे० ‘रेखा’। पद—रूप रेखा=रूप-रेखा। २. चिन्ह। निशान। ३. गिनती। गणना। शुमार। हिसाब। ४. लिखावट। पद—कर्म रेख। ५. वह जो भाग्य में लिखा हो। भाग्य-लेख। ६. युवास्था में पहले पहल रेखा के रूप में निकलनेवाली मूँछ। क्रि० प्र०—आना।—भीजना।—भीनना। ७. वह दूषित हीरा जिसमें रेखा हो। ८. हीरे में रेखा होने का दोष।
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रेखता  : वि० [फा० रेखतः] १. ऊपर से गिरा या टपका हुआ। २. (कथन-प्रकार) बिना किसी प्रकार की बनावट के आप से आप या स्वाभाविक रूप से मुँह से निकला हुआ। ३. (वास्तु-कार्य) चूने आदि से बना हुआ फलतः पक्का या मजबूत। जैसे—रेखता, छत दीवार या मकान। पुं० १. खुसरो द्वारा प्रचलित एक प्रकार का कविता या छंद रचना जिसमें फारसी और भारतीय छंदशास्त्रों की अनेक बातों (ताल, लय आदि) का सम्मिश्रिण होता था। यथा-ज-हाले मिस्कीं मकुन तगाफुल, दुराय नैनाँ बनाय बतियाँ। ३. परवर्ती काल में ऐसी कविता जिसमें कई भाषाओं के पद, वाक्य या शब्द सम्मिलित हों। ३. गद्य की वह भाषा, जिसमें हिन्दी के साथ-साथ अरबी-फारसी के भी कुछ विशेषण, संज्ञाएँ आदि सम्मिलित हो। (आधुनिक उर्दू का प्रारम्मभिक रूप इसी नाम से प्रसिद्ध था और यह हमारी खड़ी-बोली का एक विकसित रूप माना गया है० ४. चूने आदि की बनी हुई पक्की इमारत।
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रेखती  : स्त्री० [फा० रेख्ती] १. मुसलमान स्त्रियों में प्रचलित उर्दू का वह रूप जिसमें हिन्दी के बोल-चाल के शब्दों और हिन्दी प्रयोगों तथा मुहावरों की अधिकता रहती है। विशेष—जान-साहब, रंगीन आदि उर्दू कवियों ने जो जनानी रहन-सहन और चाल-ढाल की कविताएँ की हैं, उनकी बोली या भाषा ‘रेखती’ कहलाती हैं। २. उक्त बोली या भाषा में होनेवाली वह कविता, जिसमें विशेष रूप से स्त्रियों के भाव, मनोविकार आदि प्रकट किये गए हो।
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रेखन  : पुं० [सं० लेखन] १. रेखा या रेखाएँ अंकित करना या बनाना। २. रेखाओं आदि की सहायता से चित्र या रूप अंकित करना। आलेखन। ३. इस प्रकार अंकित किया हुआ चित्र या रूप। (ड्राईग)। रेखाचित्र।
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रेखना  : स० [सं० रेखन] १. रेखा या लकीर खींचना। २. रेखाओं की सहायता से चित्र आदि अंकित करना। उदाहरण—कहा करौं नीके करि हरि कौं रूप रेखि नहिं पावति।—सूर। ३. बनाना या रचकर तैयार करना। उदाहरण— (क) सत्य कहौ कहा झूठ में पावत देखों बेई जिन रेखी क्या।—केशव। (ख) पूरन प्रेम सुधा वसुधा वसुधा रमई वसुधर सु रेखी।—देव।
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रेखा  : स्त्री० [सं०√लिख् (लिखना)+अङ्+टाप्, लस्य+रः] १. सूत की तरह बहुत ही पतला और लंबा अंकित किया हुआ अवयव आप से आप बना हुआ चिन्ह। दण्डाकार पतला चिन्ह। डाँड़ी। लकीर। जैसे—कलम या खड़िया से खींची हुई रेखा। विशेष—प्राचीन काल में हमारे यहाँ कोई बात कहते समय अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा सूचित करने के लिए प्रायः हाथ से जमीन पर रेखा खींचने की प्रथा थी। क्रि० प्र०—खींचना बनाना। मुहावरा—रेखा रेखना=अपने कथन आदि की दृढ़ता या निश्चय सूचित करने के लिए रेखा खींचते हुए कोई बात कहना अथवा कुछ कहते समय रेखा खींचना। २. गणना करने की क्रिया या भाव। गिनती। शुमार। विशेष—आरम्भ में गिनती गिनने या सूचिक करने के लिए पहले रेखाएं ही खींची जाती थीं। उदाहरण—राम भगति में जासु न रेखा।—तुलसी। मुहावरा—रेखा रेखना=दृढ़तापूर्वक गिनती कहते हुए तत्संबंधी रेखा खींचना या बनाना। उदाहरण—शोभित स्वकीय गुण-गुण गनती में तहाँ तेरे नाम ही की रेखा रेखियतु है।—पद्याकर। ३. किसी ठोस तल पर बना या बनाया हुआ उक्त प्रकार का कोई चिन्ह। जैसे—चेहरे या ललाट पर की रेखा। ४. मनुष्य के तलवे और हथेली पर टेढ़े-मेढ़े अथवा सीधे बने हुए वे प्राकृतिक चिन्ह जिनके आधार पर सामुद्रिक, शास्त्र के अनुसार शुभाशुभ फल कहे जाते हैं। जैसे—अंकुश रेखा, ऊर्ध्व रेखा, कमल-रेखा। आदि। ५. वह कल्पित लकीर जो आरंभिक भारतीय ज्योतिषी अक्षांश सूचित करने के लिए सुमेरु से उज्जयिनी होती हुई लंका तक खिंची या बनी हुई मानते थे (दे० ‘रेखा भूमि’) ६. हीरे आदि रत्नों के बीच में दिखाई पड़नेवाली लकीर जो एक दोष मानी जाती है। ७. आकार। आकृति। रूप। सूरत। ८. कतार। पंक्ति।
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रेखा-गणित  : पुं० [सं० ब० स०] ज्यामिति (दे०)।
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रेखा-भूमि  : स्त्री० [सं० मध्य० स०] वह भूमि या प्रदेश जो उस कल्पित रेखा के आस-पास पड़ते थे, जो प्राचीन काल में अक्षांश स्थिर करने की लिए सुमेरू से उज्जयिनी होती हुई लंका तक गई हुई मानी जाती है।
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रेखा-लेख  : पुं० [सं० सुप्सुपा स०] १. प्रायः चित्र के रूप में होनेवाला कोई ऐसा अंकन जो परिकल्पनाओं, विचारों, स्थितियों आदि का परिचायक हो। आरेख (डाया ग्राम)। २. दे० ‘रेखा चित्र’।
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रेखांकन  : पुं० [सं० रेखा-अंकन, ष० त०] [भू० कृ० रेखांकित] १. चित्र की रूप-रेखा बनाने के लिए रेखाएं अंकित करना। २. दे० ‘अधोरेखन’ (अंडर लाइनिंग)।
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रेखाँकित  : भू० कृ० [सं० रेखा-अंकित, तृ० त०] १. रेखाओं से बना हुआ। २. जिसके नीचे रेखा खींची गई हो। जिसका रेखांकन हुआ हो।
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रेखाचित्र  : पुं० [सं० मध्य, स०] १. किसी वस्तु या व्यक्ति के रूप का वह चित्र जो केवल रेखाओं से अंकित किया गया हो। (ड्राइंग)। २. ऐसा चित्र जो केवल रेखाओं से बनाया गया हो, अर्थात् जिसमें बीच के उतार-चढ़ाव उभार-धँसाव आदि न हो। डेलोनिएशन।
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रेखावती  : स्त्री० [सं० रेखा+मतुप्, +ङीष, वत्व] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी।
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रेखांश  : पुं० [सं० रेखा-अंश, ष० त०] १. =देशांतर (भूगोल का) २. यामोत्तर वृत्त का कोई अंश। द्राधिमांश।
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रेखित  : भू० कृ० [सं० रेखा+इतच्] १. रेखा के रूप में खिचा हुआ। अंकित। लिखित। २. जिस पर रेखा अंकित की गई हो। ३. दरकने, फटने आदि के कारण जिस पर रेखा पड़ गई हो।
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रेख्ता  : वि० पुं० =रेखता।
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रेख्ती  : स्त्री०=रेखती।
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