शब्द का अर्थ
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संदि :
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स्त्री०=संधि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संदिग्ध :
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वि० [सं०] १. (कथन या वाक्य) जिसके संबंध में निर्विवाद रूप से कुछ भी कहा न जा सकता हो। २. (अर्थ, निर्वचन या व्याख्या) जिसके संबंध में किसी प्रकार का अनिश्चय हो। ३. (व्यक्ति) जिसके संबंध में अनुमान हो सके कि वह अपराधी या दोषी है (सस्पेक्टेड)। पुं० अस्पष्ट कथन। २. अनिश्चय। ३. एक प्रकार का व्यंग्य। ४. वह व्यक्ति जिसके अपराधी होने पर संदेह हो। ५. तर्क में एक प्रकार का मिथ्या उत्तर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संदिग्धत्व :
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पुं० [सं० संदिग्ध+त्व] १. संदिग्ध होने की अवस्था, धर्म या भाव। संदिग्धता। २. साहित्य में एक प्रकार का दोष जो उस समय माना जाता है जब किसी अलंकारिक उक्ति का ठीक-ठीक अर्थ प्रकट नहीं होता या अर्थ के संबंध में कुछ संदेह बना रहता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संदिग्धार्थ :
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वि० [सं० संदिग्ध+त्व] १. संदिग्ध होने की अवस्था, धर्म या भाव। २. साहित्य में एक प्रकार का दोष जो उस समय माना जाता है जब किसी अलंकारिक उक्ति का ठीक-ठीक अर्थ प्रकट नहीं होता या अर्थ के संबंध में कुछ संदेह बना रहता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संदिग्धार्थ :
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वि० [सं० कर्म० स०] जिसका अर्थ संदिग्ध या अस्पष्ट हो। पुं० विवादग्रस्त विषय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संदिष्ट :
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वि० [सं० सं√ दिश् (कहना)+क्त] १. कहा हुआ। उक्त। कथित। २. संदेह के रूप में कहा या कहलाया हुआ। पुं० १. वार्ता। २. समाचार। ३. संदेशवाहक। |
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समानार्थी शब्द-
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